Justice Yashwant Verma: केंद्र सरकार संसद में दिल्ली के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। दरअसल उनके आवास पर अधजली नोटों की गड्डियां मिलने के मामले में खिलाफ ये कार्रवाई कि जा रही है। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से 14 मार्च को नोटों की जली हुई गड्डियां प्राप्त हुई थीं। जिसके बाद 3 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति बनाई थी। जिसमें जस्टिस वर्मा को दोषी पाया गया था।
तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने की सिफारिश:
बता दें कि इस संदर्भ में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के द्वारा जांच रिपोर्ट की एक कॉपी 9 मई को राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को भेजी गई थी।जानकारी के मुताबिक जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने की थी। और इस सन्दर्भ में जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने का भी विकल्प दिया था, हालांकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।
महाभियोग प्रस्ताव में इनका समर्थन है जरूरी:
ऐ से में अब न्यायिक जवाबदेही के प्रावधानों और भारत के संविधान के आर्टिकल 124(4) के तहत हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस को पद से हटाने के लिए संसद में उनके खिलाफ महाभियोग लगाए जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक ये प्रस्ताव लोकसभा में लाने के लिए कम से कम 100 सदस्यों और राज्यसभा में लाने के लिए 50 सदस्यों का समर्थन होना बहुत जरूरी होता है। बता दें कि संसद के दोनों सदनों में महाभियोग के प्रस्ताव को दो-तिहाई बहमुत से पास किया जाना है। जिसके लिए विपक्षी दलों से सरकार आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी।
इस महीने से शुरू हो सकता मानसून सत्र:
इस साल जुलाई के तीसरे हफ्ते में संसद का मानसून सत्र शुरू हो सकता है।महाभियोग का प्रस्ताव अगर संसद के किसी सदन में पास हो जाता है, तो लोकसभा स्पीकर के CJI और राज्यसभा के चेयरमैन से एक जांच समिति बनाने का अनुरोधकरती है। जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट या फिर CJI न्याया धीश करते हैं। बता दें चले कि तीन सदस्यी इस समिति टीम में सरकार की ओर से नामित एक प्रतिष्ठित न्यायविद एक हाईकोर्ट के न्यायाधीश और एक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश होते हैं। जिसके बाद ये समिति मिलकर आगे की कार्यवाही करती है।