Health update : पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, हम अक्सर खानपान से जुड़ी जानकारियों के मामले में अफवाहों और सुनी-सुनाई बातों पर ज्यादा विश्वास कर लेते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि शरीर को जैसे विटामिन, प्रोटीन और खनिजों की जरूरत होती है, वैसे ही कार्बोहाइड्रेट भी एक आवश्यक पोषक तत्व है। लो फैट वाले खाद्य पदार्थ आपको लंबी आयु दे सकते है।
फिटनेस प्रेमियों के बीच एक आम चलन बन चुका :
पौष्टिक आहार, शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को हरी सब्जियां और खूब सारे फलों के सेवन की सलाह देते हैं। फिटनेस प्रेमियों के बीच एक आम चलन बन चुका है आहार से कार्बोहाइड्रेट्स को पूरी तरह हटाना। लेकिन यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या कार्ब्स वाकई शरीर के लिए नुकसानदायक हैं, या फिर यह सिर्फ एक भ्रम है?
क्या शरीर के वजन बढ़ने और फिटनेस की समस्याओं के लिए काब्स ही जिम्मेदार है? और सबसे बड़ा सवाल यह है की क्या हम सभी लोगो को अपने आहार में से कार्ब्स की मात्रा को काम कर देना चाहिए ?
आहार में कार्ब्स की कमी बन सकती है मृत्यु का कारण :
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि हममें से अधिकतर लोग भोजन से जुड़ी बातों में अक्सर सुनी-सुनाई बातों पर ही निर्भर रहते हैं। यही स्थिति कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को लेकर भी देखने को मिलती है। हमारे शरीर के लिए अन्य पोषक तत्वों की ही तरह से कार्बोहाइड्रेट की भी आवश्यकता होती है, इसे भोजन से पूरी तरह कम कर देना शरीर के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, इतना ही नहीं आहार में कार्ब्स की कमी समय से पहले मृत्यु का कारण बन सकती है।
कार्ब्स से ज्यादा नुकसानदायक है फैट:
कार्ब्स की अधिकता वाले आहार को वजन बढ़ाने के साथ डायबिटीज-हार्ट की समस्याओं का कारण माना जाता है। असल में कार्बोहाइड्रेट, शरीर को ग्लूकोज प्रदान करते हैं, हालांकि ग्लूकोज की अधिकता कई प्रकार से नुकसानदायक जरूर हो सकती है। वजन घटाने और हृदय संबंधी लाभ के लिए लो-कार्बोहाइड्रेट और लो फैट डाइट की प्रभावशीलता को जानने के लिए किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बड़ा खुलासा किया है। जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्षों में दावा किया गया है कि जो लोग लो-कार्बोहाइड्रेट वाले आहार का अधिक सेवन करते हैं उनमें समय से पहले मौत का खतरा बढ़ सकता है, जबकि लो फैट वाले खाद्य पदार्थ आपको लंबी आयु दे सकते हैं।
अध्ययन में क्या पता चला :
इस अध्ययन में चीन-अमेरिका के विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने 50-71 वर्ष की आयु के 371,159 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। करीब 23 साल तक प्रतिभागियों का फॉलोअप किया गया।