MLA Nirmala Sapre : बुंदेलखंड के सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से विधायक निर्मला सप्रे फिर चर्चा में हैं। वह प्रदेश की ऐसी विधायक हैं, जो किसी दल में नहीं हैं और दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस में हैं भी। विधानसभा का चुनाव वे कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गई थीं। इस नाते उन्हें इस्तीफा देकर उप चुनाव का सामना करना चाहिए था, लेकिन पराजय की डर से वे इस्तीफा देने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं।
ऐसे में वे भाजपा का काम कर रही हैं, लेकिन पार्टी नेता उन्हें भाजपा में नहीं मान रहे हैं। उधर कांग्रेस भी निर्मला को अपना नहीं मानती, उसने उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा और हाईकोर्ट में याचिका लगा रखी है। हालात ये हैं कि कांग्रेस के विरोध के बावजूद विधानसभा में उनकी सीट कांग्रेस के पक्ष में ही होगी, क्योंकि सदन के रिकार्ड में वे कांग्रेस की ही सदस्य हैं।
भाजपाई कर रहे विरोध
बीना क्षेत्र में भाजपा के पूर्व विधायक महेश राय सहित पार्टी के अन्य कार्यकर्ता उनकी कार्यशैली से नाराज हैं। कार्यकर्ताओं की शिकायत पर उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने भोपाल तलब किया था, लेकिन खंडेलवाल से मुलाकात से पहले सप्रे सीएम हाउस पहुंची और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर अपनी सफाई दी। वहीं पूर्व विधायक महेश राय भी अपने समर्थकों के साथ खंडेलवाल से मिलने पहुंचे थे और सप्रे की शिकायत की थी। बाद में सप्रे की खंडेलवाल के साथ बंद कमरे में चर्चा हुई।
वायरल ऑडियो में धमकाने की शिकायत
हाल ही में सप्रे का एक आॉडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे एक युवक को गालियां देकर बुरी तरह धमका रही थीं। हरकिशन सेन नाम के इस युवक ने इंदौर के परदेशीपुरा थाने में सप्रे के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है। इधर बीना के स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इसकी शिकायत हेमंत खंडेलवाल से की थी। शिकायत के मुताबिक हरकिशन सागर जिले के खिमलासा और आसपास के गांवों में चरागाह भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए ज्ञापन दे रहे थे। उन्होंने बीना विधायक से भी शिकायत की, इसके बाद विधायक ने कॉल कर उन्हें धमकाया था। हालांकि सप्रे का कहना था कि ऑडियो उनका नहीं हैं।
बीना को जिला बनाने का मिला था आश्वासन
सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ज्वाॅइन करने से पहले निर्मला सप्रे को बीना को जिला बनाने का आश्वासन मिला था, लेकिन अब तक यह आश्वासन पूरा नहीं हुआ। निर्मला का कहना था कि वे सदस्यता से इस्तीफा तभी देंगी, जब बीना को जिला घोषित कर िदया जाएगा। यह घोषणा हो भी जाती, लेकिन वरिष्ठ विधायक भूपेंद्र सिंह बीच में आ गए। वे खुरई को जिला बनाने की मांग कर रहे थे। इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुनर्गठन आयोग की घोषणा कर दी। नतीजा, निर्मला सप्रे अधर में हैं। न वे पूरी तरह भाजपा में हैं और कांग्रेस से तो इस्तीफा ही दे चुकी हैं।