MP Congress Politics : कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बीते 3 जून को भोपाल के दौरे पर आए थे। इस दौरान राहुल ने 6 घंटे में मैराथन 4 बैठके ली थी। राहुल गांधी का दौरा पूरी तरह से संगठनात्मक था। उन्होंने भोपाल में ‘संगठन सृजन अभियान’ की शुरुआत की थी। बैठक के दौरान राहुल गांधी नेताओं को पार्टी में एकजुट होने और गुटबाजी खत्म करने की नसीहत देकर गए थे। राहुल गांधी की एमपी से रवानगी के बाद से कांग्रेस जिलाध्यक्ष को लेकर हलचल तेज हो गई है।
दिल्ली पहुंची रिपोर्ट!
पार्टी सूत्रों और मीडिया की खबरों की मानें तो राहुल गांधी प्रदेश कांग्रेस संगठन से जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया को जल्द करने का निर्देश दिया था। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए प्रदेश के सभी जिलों में ऑब्जर्वर भी नियुक्त किए गए। सूत्रों का कहना है कि ऑब्जर्वरों ने हर जिले की एक रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली आलाकमान को सौंप दी है।
ऐसे होगी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति!
सूत्रों की माने तो इस बार जिलाध्यक्षों के चयन में जातिगत समीकरण, जिलास्तर के नेताओं से बेहतर तालमेल और पार्टी कार्यकर्ताओं की पसंद को देखकर ही दावेदारों का पैनल तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा दिल्ली नेतृत्व ने साफ कर दिय है कि जो भी नेता विधानसभा, लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहता है तो ऐसे नेताओं को जिलाध्यक्ष का पद नहीं दिया जाएगा। साथ ही कोई मौजूदा जिलाध्यक्ष चुनाव लड़ने की इच्छा जताता है, तो उसे कम से कम डेढ़ साल पहले पद छोड़ना होगा।
पार्टी के लिए 6 दिन अहम
राहुल गांधी ने सभी ऑब्जर्वरों को सूची तैयार करने के लिए शुरुआती छह दिन बेहद महत्वपूर्ण बताए हैं। इसके बाद अंतिम चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कांग्रेस ने जिलाध्यक्ष चयन के लिए 165 ऑब्जर्वरों की नियुक्ति की है, जिन्हें 10 से 30 जून के बीच अपना कार्य पूरा करना होगा।