रायपुर : भारत माला प्रोजेक्ट घोटाला के बाद रायपुर तहसील क्षेत्र में भी तहसीलदार एवं पटवारी द्वारा किए गए एक बड़े फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। रायपुर के पंडरीतराई स्थित ग्राम सेवा समिति की बेशकीमती करोड़ों की जमीन कूटरचना कर
अग्रवाल परिवार के 12 सदस्यों के नाम पर चढ़ा दी गई है। नामांतरण होते ही अग्रवाल:
परिवार ने इस जमीन पर बाउंड्रीवाल कर कब्जा भी कर लिया है। शिकायत मिलने पर संभाग आयुक्त महादेव कावरे ने तीन सदस्यों की कमेटी गठित कर इसकी जांच कराई है। इस जांच में तत्कालीन तहसीलदार मनीष कुमार साहू एवं पटवारी विरेंद्र झा को दोषी पाया गया है। जांच पूरी होने के बाद आयुक्त ने इसकी रिपोर्ट जिला कलेक्टर को प्रेषित की है और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है।
नोटिस का जवाब :
तहसीलदार को नोटिस, जवाब में कहा- नियम के तहत किया नामांतरण: जांच कमेटी ने इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार मनीष साहू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस नोटिस के जवाब में तहसीलदार ने बताया है कि मेरे द्वारा जमीन नामांतरण के आदेश के विरुद्ध एसडीएम रायपुर कोर्ट में अपील की गई है, जो अभी लंबित है। उनका कहना है कि नामांतरण आदेश को चुनौती देते हुार समिति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने अपास्त कर दिया।
10 एकड़ जमीन पर खेती का काम :
कोर्ट के इस आदेश के बाद अब तक सक्षम कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई है तथा इस प्रकार की शिकायत हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश की अवमानना है। 80 के दसक में 10 एकड़ जमीन पर होती थी खेती समिति की इस जमीन पर 1980 के दसक में खेती की जाती थी। इस समिति से 1980 दसक से जुड़े गरिबालाल चंद्राकर 77 वर्ष ने बताया कि वह पेशे से किसान है तथा इस जमीन को जब समिति ने खरीदी, उसी समय वह करीब 10 एकड़ भूमि पर खेती का काम करता था। करीब तीन साल के बाद इस काम में घाटा होने के कारण उसे बंद करा दिया गया था। इसके बाद से जमीन का कोई उपयोग नहीं किया गया है।
समिति ने 60 साल पहले 19 पैसे फीट की दर से खरीदी थी 11.73 एकड़ जमीन :
ग्राम सेवा समिति के मंत्री अजय तिवारी ने बताया कि करीब 60 वर्ष पहले समिति के संचालक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. व्यंकटेश राव ने पंडरीतराई स्थित 11.73 एकड़ जमीन 19 पैसे यानी 3 आना फीट की दर से क्रय की थी। इसके बाद से इस जमीन पर समिति का कब्जा है। तहसीलदार मनीष साहू और पटवारी विजेंद्र झा की मिली भगत से कुल 4.12 एकड़ जमीन, अग्रवाल परिवार के अन्य 10 सदस्यों के नाम पर नामांतरण कर दी गई है। यह पूरी जमीन अब दूसरे लोगों के नाम दर्ज हो चुकी है, जिसकी कीमत लगभग 25 करोड़ रुपये है।
विक्रेता का नाम भी राजस्व अभिलेख में दर्ज नहीं :
संभाग कमेटी की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि तहसीलदार मनीष साहू के आदेश में फौती नामांतरण प्रकरण में मृतक भूमि स्वामी की मौत के बाद नामांतरण की कार्यवाही बिक्री बैनामा के समय खसरा नंबर 299/1 क का रकबा उल्लेखित नहीं किया गया था। इस प्रकार स्पष्ट है कि वादग्रस्त भूमि पर न तो मृतक का नाम कभी दर्ज हुआ, और न ही लखनलाल एवं अन्य विक्रेताओं के नाम पर यह भूमि कभी दर्ज रही है।
जांच टीम में ये रहे शामिल:
संभाग आयुक्त द्वारा गठित की गई जांच टीम में संभाग उपायुक्त ज्योति सिंह, अपर कलेक्टर निधि साहू एवं अनुविभागीय अधिकारी रायपुर नंदकुमार चौबे शामिल रहे।