PCOS : आज की तेज रफ्तार जिंदगी में PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) महिलाओं में तेजी से बढ़ती समस्या बन गया है। अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, चेहरे पर पिम्पल्स, चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल—ये सभी लक्षण न सिर्फ असहजता बढ़ाते हैं बल्कि मानसिक तनाव भी पैदा करते हैं। सर्दियों में मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ने और कम एक्टिविटी के कारण PCOS के लक्षण कई बार और बढ़ जाते हैं। अच्छी बात यह है कि कुछ आसान डाइट और लाइफस्टाइल बदलाव अपनाकर इन लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
लो GI डाइट अपनाएं
PCOS में इंसुलिन रेजिस्टेंस बेहद आम है, जिसके कारण ब्लड शुगर बढ़ता है और हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है। ऐसे में महिलाओं को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Low GI) वाले खाद्य पदार्थ जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, क्विनोआ, हरी सब्जियां, बाजरा और ज्वार को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। ये वजन कंट्रोल रखते हैं और ब्लड शुगर को अचानक बढ़ने से रोकते हैं।
प्रोटीन और हेल्दी फैट का सेवन बढ़ाएं
PCOS कंट्रोल में प्रोटीन और अच्छे फैट (Good Fats) का बड़ा योगदान होता है।
प्रोटीन के लिए: दाल, अंडे, पनीर, टोफू, चने
हेल्दी फैट के लिए: अलसी, अखरोट, बादाम, एवोकाडो, मछली
ये न सिर्फ भूख को नियंत्रित रखते हैं बल्कि हार्मोन को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करते हैं।
फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें
सर्दियों में फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध रहते हैं। फाइबर के अच्छे स्रोत: सेब, संतरा, बेरीज, पालक, ब्रोकली, मेथी, बाजरा, जौ, ज्वार, ओट्स ये पाचन सुधरते हैं, इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करते हैं और वजन को बढ़ने से रोकते हैं।
शुगर और जंक फूड से दूरी बनाएं
मीठे पेय, सोडा, पेस्ट्री, मैदा वाले स्नैक्स और फास्ट फूड PCOS के लक्षणों को ट्रिगर करते हैं। इन्हें जितना हो सके कम करें। सर्दियों में गुड़ और खजूर जैसी प्राकृतिक मिठास सीमित मात्रा में ली जा सकती है।
ठंड में भी एक्सरसाइज करना न छोड़ें
सर्दियों में ठंड के कारण एक्टिविटी कम हो जाती है, लेकिन PCOS में नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है। योग , तेज चलना, हल्का घरेलू वर्कआउट, सूर्य नमस्कार ये एक्सरसाइज इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती हैं और वजन नियंत्रित रखने में मदद करती हैं।
तनाव कम करें, नींद पूरी लें
PCOS को बढ़ाने में तनाव (Stress) बड़ी भूमिका निभाता है। सर्दियों की लंबी रातें अच्छी नींद लेने का बेहतरीन अवसर देती हैं। साथ ही मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग, जर्नलिंग (डायरी लिखना) ये सभी चीजें मानसिक शांति देती हैं और हार्मोनल बैलेंस सुधारती हैं।