रायपुर: राजधानी रायपुर में रविवार को हरिभूमि-आईएनएच न्यूज के द्वारा 'आयुष्मान भवः हेल्थ कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया गया। जहां पर प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े दिग्गज चिकित्सकों, विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं के लिए संवाद और विचार-विमर्श का केंद्र बना। गुरुवार को निजी होटल में आयोजित इस कॉन्क्लेव के दौरान विशेषज्ञों ने सर्जरी, स्त्रीरोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही उनके आधुनिक और प्रभावी इलाज को लेकर भी गहन मार्गदर्शन दिया गया। इस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों के लिए सभी सत्र न केवल जानकारीपूर्ण रहे, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाले भी साबित हुए। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अतिथियों ने सरकार की योजनाओं पर खुलकर चर्चा की। विशेषकर आयुष्मान योजना के अंतर्गत दी जा रही सुविधाओं और खामियों को सामने रखा। कार्यक्रम में अपनी पेशेगत कुशलता और सामाजिक सरोकार सहित उल्लेखनीय कामयाबी के लिए चिकित्सकों का सम्मान भी किया गया। दो चिकित्सकों डॉ. दीपशिखा और डा संदीप दवे को लाइफ टाइम एचिवमेंट अवार्ड दिया गया।
चिकित्सकों ने साझा किए विचार:
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, महापौर मीनल चौबे, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सभी अतिथियों ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा पर अपने विचार साझा किए, जो स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे। अतिथियों ने हेल्थ कॉन्क्लेव की सराहना की। इस दौरान विभिन्न सत्रों में चिकित्सकों ने अपने विचार साझा किए।
सरकार और चिकित्सकों के बीच बने भरोसे का सेतु:
हरिभूमि-आईएनएच व्यूज के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि हमने 'आयुष्मान भव कार्यक्रम की परिकल्पना सोच-समझकर की थी। सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान योजना एक क्रांतिकारी पहल है, लेकिन हाल ही में इसके कुछ पहलुओं को लेकर छत्तीसगढ़ में चर्चा और विसंगति भी देखने को मिली। हमें लगा कि मीडिया का दायित्व दूरी बनाना नहीं, बल्कि उसे मिटाना होना चाहिए। सरकार और चिकित्सकों के बीच विश्वास बहाल हो, यही जनसेवा के लक्ष्य को साकार कर सकता है। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए इस कार्यक्रम की नींव रखी गई।
नई औद्योगिक नीति का प्रावधन:
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि आने वाले साढ़े तीन सालों में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास किया जाएगा। कोई भी मरीज राज्य से बाहर इलाज करने ना जाए, ऐसी सुविधा यहां के निजी और सरकारी अस्पतालों में देने के प्रयास होंगे। मेरी इच्छा है कि जनता सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचे, इन अस्पतालों के प्रति विश्वास बढ़ाने का काम करने का प्रयास करूंगा। उन्होंने यह भी बताया कि नई औद्योगिक नीति के तहत 50 से अधिक बेड वाले अस्पताल खोले जाने पर 55 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधन किया गया है।
दूर होगी डाक्टरों की कमी:
हरिभूमि- आईएनएच द्वारा रविवार को निजी होटल में आयोजित आयुष्मान भवः कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल से आईएनएच-हरिभूमि के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने सीधी बात की। जिसमें उन्होंने सवाल किया कि, स्वास्थ्य विभाग आपको दिया गया है, डेढ़ साल में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप होता है। यह मानकर स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहा हूं। डेढ़ साल में सबसे बड़ी चुनाती विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी की रही है। इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। फैकल्टी की भी समस्या से हम जूझ रहे हैं। आने वाले समय में यह स्थिति सुधरेगी। हमने सीनियर ओर जूनियर डॉक्टरों की सैलरी में डेढ़ गुना बढ़ोत्तरी की है। कहीं कहीं ढाई गुना तक भी बढ़ाया गया है। डाक्टरों को साढ़े चार लाख रुपए तक की सैलरी मिल रही है।
कार्यकाल का अनुभव :
सवाल- निजी और सरकारी अस्पतालों का इन डेढ़ सालों के कार्यकाल में अनुभव कैसा रहा। आयुष्मान के जरिए जनता को राहत मिली कि नहीं। जवाब- डेढ़ सालों में निजी और सरकारी अस्पतलों का मिला जुला अनुभव रहा। कुछ अस्पताल ऐसे हैं जो आयुष्मान से ही चल रहे हैं। रामकृष्ण जैसे अस्पताल आयुष्मान से भागते हैं। कुछ इसके जरिए इलाज भी करते हैं। यहां पर हमारे निजी अस्पताल अच्छे हैं। यहां से मरीज हैदराबाद या नागपुर इलाज कराने कम जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में भी सुविधा को अच्छा करने का प्रयास किया जा रहा है। आयुष्मान योजना और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना में किसे अच्छा मानते हैं। जवाब- दोनों योजना आयुष्मान के अंतर्गत आती है। कुछ पैकेज में रिवाइज करने की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों के मुकाबले कुछ इलाज के पैकेज में अन्य राज्यों से आगे है।