हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है। आज के दिन टीबी के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए कई सारे अभियान चलाए जाते हैं। यह ऐसी बीमारी है जिसके नाम से भी लोगों को खौफ लगता है। वैसे तो टीबी बहुत खतरनाक बीमारी है और रिपोर्ट्स की माने तो एक दिन में विश्व में करीब 4000 लोगों की इससे मौत होती है। लेकिन इस लिस्ट में कई नाम शामिल हैं जो इस बीमारी के सामने चैलिंजग रोल निभाकर दुनिया में एक अलग मुकाम हासिल किया है। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन हो या साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला उन्होंने टीबी के खिलाफ जंग लड़ी और करोड़ों लोगों के लिए मिशाल पेश की है।
अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan)
अमिताभ बच्चन को वर्ष 2000 में टीबी का पता चला था। उन्होंने खुलासा किया कि यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ा था। लेकिन सफल इलाज के बाद अमिताभ इस जानलेवा बीमारी से मुक्त हो गए। बॉलीवुड महानायक अब 'टीबी मुक्त भारत के लिए कॉल टू एक्शन' के लिए केंद्र के ब्रांड एंबेसडर हैं।
मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah)
मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के संस्थापक हैं, जो टीबी से पीड़ित थे। उन्होंने किसी भी तरह का इलाज नहीं कराया क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनके राजनीतिक करियर पर असर पड़ेगा। अंतत: उन्होंने इस बीमारी के कारण दम तोड़ दिया।
कमला नेहरू (Kamala Nehru)
कमला नेहरू एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। वह इंदिरा गांधी की मां और जवाहरलाल नेहरू की पत्नी थीं। वह कम उम्र में टीबी से पीड़ित हो चुकी थी और अंततः 37 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela)
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति 1988 में पोल्समूर जेल में रहते हुए टीबी से संक्रमित हो गए थे। उनका इलाज किया गया और चार महीने के भीतर टीबी से ठीक हो गए। इस बीमारी ने उनके फेफड़ों को अतिसंवेदनशील और निमोनिया और अन्य संक्रमणों से संक्रमित कर दिया।
जॉर्ज ऑरवेल (George Orwell)
1984 के लेखक जॉर्ज ऑरवेल को बचपन में ब्रोंकाइटिस, डेंगू बुखार और निमोनिया था। बाद में उन्हें टीबी हो गया लेकिन यह मुद्दा काफी सुर्ख़ियों में बना रहा। हालांकि विशेषज्ञ अभी भी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या यह उनकी बचपन की बीमारियों, बर्मा की उनकी यात्रा या गरीबी में बिताए गए दिनों का परिणाम था।