रुचि वर्मा//रायपुर। दो पालकों के बच्चे नर्सरी में हैं। एक का बच्चा केंद्रीय विद्यालय में अध्ययनरत है, तो एक ने अपने बच्चे का दाखिला शहर के बड़े निजी विद्यालय में कराया है। एक अप्रैल से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के बाद वे सदर बाजार स्थित पुस्तक दुकान पहुंचे। केंद्रीय विद्यालय में अध्ययनरत छात्र की किताबों का बिल महज 150 रुपए बना तो प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का बिल 2 हजार बना। दोनों ही विद्यालयों में सीबीएसई माध्यम से पढ़ाई होती है और दोनों ही स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें मान्य हैं। केंद्रीय विद्यालय जहां सिर्फ एनसीईआरटी किताबों से अध्ययन करा रहे हैं तो वहीं निजी विद्यालय एनसीईआरटी के साथ-साथ निजी प्रकाशकों की किताबें भी थोप रहे हैं। इसके कारण इन स्कूलों के पालकों का बिल केंद्रीय विद्यालय के पालकों के बिल से दस गुना अधिक है। पाठ्यक्रम की किताबों के अलावा कलरिंग, कर्सिव राइटिंग व अन्य गतिविधियों की पुस्तकें भी पालकों से खरीदवाई जा रही।
स्कूलों से सूची नदारत :
कोविड के पूर्व सत्रों में निजी स्कूलों के लिए निर्देश जारी किया गया था कि वे पालकों को किसी एक दुकान से ही किताबें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। उन्हें कम से कम 4-5 दुकानों की सूची पालकों को उपलब्ध करानी होगी, जहां उनके द्वारा चलाई जा रही किताबें मिल सके। दुकानों की ये सूची उन्हें अपने बोर्ड पर चस्पा करनी होगी। अब इस नियम को लेकर कोई कड़ाई नहीं बरती जा रही है और पालकों के पास मोलभाव करने का विकल्प भी समाप्त हो चुका है। जिला शिक्षा कार्यालय शिकायत के इंतजार में बैठा है और पालक बच्चों के रिजल्ट खराब होने के भय से चुप बैठे हैं।
दुकानदार ने कहा-अगले हफ्ते आएगा सेट :
inh 24x7 - हरिभूमि की टीम पालक बनकर सदर बाजार के कई दुकानों में पहुंची। यहां कुछ स्कूलों द्वारा मंगाई गई किताबें मिल गईं, लेकिन नरदहा स्थित कुछ स्कूलों के किताबों के तथाकथित पूरे सेट के लिए अगले हफ्ते आने कहा गया। कीमतें पूछने पर किसी भी कक्षा की किताब 2 हजार से कम दाम में नहीं आने की बात कही। शहर के आधा दर्जन स्कूलों ने बुक सेट संग कॉपियां, जूते-मोजे, ट्रैक सूट, यूनिफॉर्म भी दुकान विशेष से खरीदने कहा है। ऐसे में 12वीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते बिल 10 हजार रुपए पार हो रहा है।
आत्मानंद की किताबें भी सस्ती :
स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में भी इंग्लिश माध्यम से पढ़ाई होती है। शासन द्वारा स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि यदि वे पापुनि द्वारा निशुल्क रूप से बांटी जा रही किताबों के अतिरिक्त छात्रों के विकास के लिए अन्य किताबों से अध्ययन कराना चाहें तो करा सकते हैं। राजधानी के कई बड़े स्कूलों ने पालकों को किताबों की सूची सौंपी। एनसीईआरटी बेस्ड होने के कारण इन अतिरिक्त किताबों की कीमत 100 रुपए भी पार नहीं कर सकी।
कहां मिल रही किस स्कूल की किताबें :
सड्डू बरोंडा रोड स्थित विद्यालय की किताब सदर बाजार के नाहटा मार्केट समीप दुकान में देवपुरी स्थित विद्यालय जिसकी शहर में कई ब्रांच है, उनकी किताबें ओल्ड देवपुरी स्थित एक दुकान सहित सदर बाजार के में बिक रहीं । बैरनबाजार व सिविल लाइन स्थित स्कूल की किताबें तात्यापारा स्थित एक दुकान में उपलब्ध है बलौदाबाजार रोड स्थित एक प्रतिष्ठित विद्यालय का बुक सेट भी सदर के चुनिंदा दुकान में है।
बड़े स्कूलों संग टाईअप:
सदर बाजार बुक डिपो संचालक दीपक बल्लेवार ने बताया कि, अपेक्षाकृत बड़े स्तर के निजी स्कूलों ने दुकानदारों संग टाईअप किया है। वे स्कूल जो किताबें बच्चों से मंगाते हैं, वह उन दुकानों में ही मिलती हैं।
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केवल एनसीईआरटी :
प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय सुजीत सक्सेना ने बताया कि, हम केवल एनसीईआरटी को फॉलो करते हैं। इनकी किताबें गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ रहती हैं और कीमतें भी कम होती हैं। यही वजह है कि छात्र-पालकों पर बोझ नहीं पड़ता है। छोटे बच्चों का बिल 500 रुपए तक भी नहीं पहुंचता है।
नहीं मिलती एनसीईआरटी किताबें :
निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि, बाजार में एनसीईआरटी की किताबों की उपलब्धता सहज नहीं है। हमें छात्रों के विकास के लिए वर्क बुक भी पढ़ानी होती है, इसलिए बिल बढ़ जाता है।