52 Shaktipeeths 48 Gandaki Shaktipeeths: गंडकी चंड देवी सती शक्तिपीठ नेपाल शक्तिपीठ हिंदू बौद्ध तीर्थ स्थल है, मोक्ष देने वाला तीर्थगंडकी शक्तिपीठ जिसे आद्या शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, नेपाल के पवित्र मुक्तिनाथ मंदिर क्षेत्र में गंडकी नदी के उद्गम स्थल के समीप स्थित है। यह शक्तिपीठ धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर की पौराणिक मान्यता:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव देवी सती के योगी शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए। इसी क्रम में देवी सती का गाल इस स्थान पर गिरा था, जिसके कारण यह स्थल शक्तिपीठ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।
गंडकी चंडी स्वरूप की पूजा:
गंडकी शक्तिपीठ में माता की पूजा गंडकी चंडी के स्वरूप में की जाती है। स्थानीय श्रद्धालुओं और साधकों का मानना है कि यहां सच्चे मन से की गई आराधना से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिंदू और बौद्ध दोनों के लिए पवित्र:
यह शक्तिपीठ न केवल हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। मुक्तिनाथ क्षेत्र को दोनों धर्मों में मोक्ष प्रदान करने वाला तीर्थ कहा गया है। यही कारण है कि यहां देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
दुनिया के सबसे ऊंचे तीर्थ स्थलों में शामिल:
गंडकी शक्तिपीठ समुद्र तल से अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में गिना जाता है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था यहां अडिग बनी हुई है।
आध्यात्मिक आस्था का केंद्र:
मान्यता है कि गंडकी नदी के दर्शन और गंडकी चंडी की पूजा से पापों का नाश, आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि यह स्थान सदियों से साधना और तप का केंद्र रहा है। गंडकी शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत-नेपाल की साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक भी है। आद्या शक्तिपीठ के रूप में इसकी मान्यता इसे विशेष और दिव्य बनाती है।