Congress Pilot Project : मध्य प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस ने अब एक नई रणनीति के तहत अपने संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश शुरू कर दी है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी अब जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करने के लिए "पायलट प्रोजेक्ट" की शुरुआत कर रही है। इस परियोजना को एक मॉडल के रूप में तैयार किया गया है, जिसे सफल होने पर प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
जड़ों से जुड़ने की कवायद
कांग्रेस आलाकमान ने यह महसूस किया है कि मध्यप्रदेश में पार्टी का कैडर अब भी मजबूत है, लेकिन उसमें जोश और दिशा की कमी है। इसी सोच के तहत पार्टी अब उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर रही है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत पार्टी अपने नेताओं को जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ सीधे जोड़ने जा रही है। खास बात यह है कि इस पूरे अभियान की जिम्मेदारी खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और प्रभारी हरीश चौधरी ने संभाली है।
विदिशा से होगी शुरुआत
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत राज्य के सबसे कठिन चुनावी क्षेत्रों में से एक, विदिशा जिले से की जा रही है। यह इलाका भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत गढ़ माना जाता है, जहां कांग्रेस को पिछले चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली थी। पार्टी ने तय किया है कि यहीं से पुनर्गठन की शुरुआत होगी। आने वाले 20 दिनों तक, पार्टी के करीब 100 वरिष्ठ नेता और विशेषज्ञ जिले की हर पंचायत और शहरी वार्ड में पहुंचेंगे। वे आमजन से संवाद करेंगे, संगठन की कमजोरियों का आकलन करेंगे और स्थानीय कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने का कार्य करेंगे।
100 एक्सपर्ट्स का जमीनी कार्य
विदिशा में तैनात किए गए इन 100 एक्सपर्ट्स में संगठन, प्रशिक्षण और सांगठनिक विश्लेषण में दक्ष नेता शामिल हैं। यह टीम हर क्षेत्र में जाकर कांग्रेस की जमीनी स्थिति का विश्लेषण करेगी, जिसमें स्थानीय स्तर पर सामाजिक समीकरणों की जांच, कार्यकर्ताओं की सक्रियता और संगठन की मजबूती जैसे मुद्दे शामिल हैं। रिपोर्ट्स को सीधे प्रदेश नेतृत्व और आलाकमान तक पहुंचाया जाएगा ताकि भविष्य की रणनीति उसी आधार पर तैयार की जा सके।
जातिगत संतुलन पर विशेष ध्यान
कांग्रेस इस बार जातिगत समीकरण को लेकर भी सजग नजर आ रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत हर वार्ड और गांव की सामाजिक संरचना का विश्लेषण किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि जिस जाति या वर्ग की बहुलता है, वहां पार्टी संगठन में उस समाज के प्रतिनिधि मौजूद हैं या नहीं। यदि नहीं हैं, तो उन्हें संगठन में शामिल किया जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर सामाजिक जुड़ाव बढ़े।
विदिशा का चयन क्यों?
विदिशा को इस अभियान के लिए चुनने के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि यह जिला लंबे समय से बीजेपी का मजबूत किला रहा है और कांग्रेस यहां बार-बार हार का सामना करती रही है। दूसरा, यह क्षेत्र राजधानी भोपाल के पास है, जिससे संगठन संचालन में तेजी लाई जा सकती है। तीसरा कारण यह है कि विदिशा में कांग्रेस की स्थिति इतनी कमजोर है कि यहां यदि थोड़ी भी सफलता मिलती है तो इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव पूरे प्रदेश पर पड़ेगा।