MP Congress Politics : (विकास जैन भोपाल) लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी करीब 10 साल बाद बीते मंगलवार को मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने संगठन सृजन अभियान की शुरूआत की। पीसीसी में राहुल गांधी ने मैराथन तीन बैठके ली। उन्होंने पार्टी नेताओं के अलावा पार्टी के विधायक और राज्यसभा सांसदों से गहन चर्चा की। बैठक के दौरान राहुल गांधी ने एक बात ऐसी कह दी की जो प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई। राहुल गांधी भले ही भोपाल से दिल्ली रवाना हो गए, लेकिन उनकी बात अब प्रदेश के नेताओं की धड़कने बढ़ाने लगी है।
लंगड़े घोड़े होंगे रिटायर...
दरअसल, राहुल गांधी ने विधायक और संगठन के नेताओं की बैठक में इशारों में कहा था की पार्टी के लंगड़े घोड़ों को रिटायर करने का वो समय आ गया है। अब रेस के घोड़ों को रेस में और बारात के घोड़ों को बारात में भेजना है। राहुल ने अपने सख्त अंदाज मेंं कहा की पार्टी में कई लंगड़े घोडे है, जिन्हें अब घास चरने भेज दो, पानी पियो, आराम करो, लेकिन अन्य घोड़ों को परेशान मत करें... नहीं तो पार्टी कार्रवाई करेगी। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने यह भी कहा कि अनुशासनहीनता और भितरघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राहुल ने ऐसे नेताओं को भी नसीहत दी जो बीजेपी के दबाव में आकर बयानबाजी करते है, पार्टी को नुकसान पहुंचाते है। राहुल ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी ने ऐसे नेता जो भाजपा के इशारों पर काम कर रहे है, ऐसे लोगों को स्लीपर सेल की तरह बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। राहुल के इस बयान के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि आखिर राहुल गांधी ने किन नेताओं को लंगड़ा घोड़ा बताया, आखिर कौन है वो लंगड़े घोड़े?
दिग्गी नाथ की ओर इशारा?
राहुल गांधी ने लंगड़े घोड़ों वाली बात रखते हुए किसी नेता का नाम भले ही नहीं लिया, लेकिन प्रदेश की राजनीति में दो नामों की चर्चा अब तेजी से होने लगी है। चर्चा है कि राहुल गांधी का इशारा कहीं न कहीं दो पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की ओर हो सकता है?
दिग्गी-नाथ ही क्यो?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस बीते कई सालों से बुरी तरह से पिछड़ती आ रही है। बीते विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को करारी हार का समाना करना पड़ा। कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। इतना ही नहीं साल 2024 के लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने गढ़ को भी नहीं बचा पाए थे। कांग्रेस को मिली इस बुरी हार को लेकर दिग्गी नाथ पर सवाल भी उठे।
दिग्गी-नाथ में तनातनी?
प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी की खबरे बीते कई सालों से सामने आती रही है। खासतौर पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच तनातनी सबसे ज्यादा सामने आती रही। जानकारों का कहना है कि दोनों के बीच की तनातनी के चलते पार्टी समर्थक दो खेमों में बंटे रहे, जिसका असर पार्टी पर भी पड़ा। इसी के चलते राहुल साफ तौर पर कहकर गए है कि गुटबाजी को खत्म करें और मिलकर, एकजुट होकर काम करे।
नाथ के भाजपा में जाने की अटकले
लोकसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ और उनके पुत्र नकुल के बीजेपी में जाने की अटकले सामने आई थी। भले ही नाथ ने बीजेपी में नहीं जाने की बात का खंडन किया था, लेकिन नाथ की दिल्ली में भाजपा नेताओं से मेलजोल ने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ा। राहुल ने बैठक में दिए भाजपा के लिए काम करने नेताओं वाला बयान नाथ से जोड़कर देखा जा रहा है।
पार्टी में होगा बदलाव?
पार्टी संगठन में बदलाव की खबरे अबतक दिल्ली से आती रही, लेकिन अब राहुल गांधी ने खुद भोपाल में आकर पार्टी में बदलाव की संकेत दे दिए है। राहुल गांधी कहकर गए है कि प्रदेश संगठन में भविष्य में 55 ऐसे नेता तैयार किए जाएंगे जो पार्टी का भविष्य संवारेंगे। ऐसे में अब पार्टी के पुराने नेताओं को रिटायर करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अब सवाल उठने लगा है कि क्या दिग्गी-नाथ को पार्टी से साइडलाइन किया जाएगा? या फिर उन्हें संगठन में कई नई जिम्मेदारी दी जाएगी? कुल मिलाकर राहुल गांधी का लंगड़ा घोड़ा बयान प्रदेश कांग्रेस में नए युग की शुरूआत के संकेत है। अब आने वाले समय में देखना होगा की प्रदेश कांग्रेस में रेस का घोड़ा और बारात का घोड़ा कौन है?
नपेंगे पटवारी-अजय-अरुण?
राहुल गांधी ने कहा था की अब नए चेहरे और ऊर्जावान युवा चेहरों को आगे लाया जाएग। ऐसे में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के अलावा पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया को लेकर भी सवाल उठने लगे है। जीतू पटवारी के पीसीसी चीफ बनने के बाद से ही वे विवादों में बने रहे। उनपर संगठन में बदलाव में भेदभाव के आरोप भी लगे। पटवारी को नेतृत्व की कमान मिलने से पार्टी के कई नेताओं ने उनका दिल्ली तक विरोध किया। कई नेताओं ने तो लेटरबाजी तक की। वही अजय सिंह राहुल भैया प्रेस कॉफ्रेंस कर पटवारी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके है। तो वही अरूण यादव भले ही लेन देन में नहीं हो, लेकिन बीते लंबे समय से वे प्रदेश की राजनीति में सक्रिय नहीं है। वे सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रियता बनाए हुए है। ऐसे में पुराने नेतााओं में इन तीनों नेताओं को भी जोड़कर देखा जा रहा है।
दिग्गजों को झटका, कार्यकर्ताओं को हौसला
राहुल गांधी ने बैठक के दौरान कहा था कि आप लोगों को मेरी जहां जरूरत होगी, वहां बुलाओं में हाजिर हो जाऊंगा। पार्टी में जिलाध्यक्ष के लिए पार्टी अध्यक्ष, मैं, वेणुगोपाल जी का दरवाजा हमेशा खुला मिलेगा। राहुल की बात से साफ संकेत है कि अब प्रदेश की कमान राहुल गांधी ने पीछे के रास्ते से सम्हाल ली है। राहुल ने साफ संकेत दिए है कि उनकी नजर अब हर मूवमेंट पर रहेगी। जिसके चलते अब प्रदेश के दिग्गजों को झटका और पार्टी के जीमीन कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ते तौर पर देखा जा रहा है।