Wheat Price Hike: गेहूं की कीमतों में उछाल थमने का नाम नहीं ले रही है। देश में गेहूं के दाम छह महीने में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं, जिसका मुख्य कारण है आने वाले त्योहारों के सीजन और मांग में तेजी की।
गेहूं की कीमतों में उछाल और सरकार की प्रतिक्रिया
गेहूं की कीमतों में तेज उछाल के बाद, सरकार से उम्मीद है कि वो गेहूं के इंपोर्ट पर ड्यूटी को खत्म कर सकें, ताकि आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण बना सकें। यह नियंत्रण राज्यों में होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महत्वपूर्ण हो सकता है।
गेहूं की कीमतों में तेज उछाल और खाद्य महंगाई
गेहूं की कीमतों में ये तेजी जारी रही है तो इससे आटा और गेहूं से बनने वाली अन्य उत्पादों की कीमतें भी महंगी हो सकती हैं, जैसे कि बिस्कुट और ब्रेड। जून महीने में खाद्य महंगाई दर में 2.96% से 4.49% तक की वृद्धि हुई है। यदि गेहूं की कीमतों में ये तेजी जारी रही तो खाद्य महंगाई में और भी वृद्धि देखने की संभावना है।
गेहूं की कमी और आपूर्ति में ठप्प
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गेहूं उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में किसानों की ओर से आने वाली सप्लाई में कमी है। आटा मिल गेहूं के पर्याप्त स्टॉक नहीं खरीद पा रहा है। इससे मिल गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
सरकार के इंपोर्ट पर ड्यूटी के संकेत
सरकार ने हाल ही में गेहूं के इंपोर्ट पर लगे 40% ड्यूटी को खत्म करने की संकेत दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इंपोर्ट से कीमतों में कमी की संभावना है। हालांकि, इस वर्ष अच्छे गेहूं के उत्पादन के बावजूद, सरकार ने अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया है।
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