Heart Care Tips : ठंड के मौसम में जैसे ही तापमान गिरता है और हवा में धुंध की परत बढ़ती है, दिल और फेफड़ों पर दबाव भी उसी रफ्तार से बढ़ने लगता है। ऐसे हालात में एक बार फिर आयुर्वेद की प्राचीन औषधि अर्जुन की छाल सुर्खियों में है। हृदय की मजबूती और श्वसन से जुड़ी कई समस्याओं में इसके फायदे नई पीढ़ी भी अपनाने लगी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में बढ़ती सांस की दिक्कतें केवल आधुनिक इलाज से ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक उपचारों से भी नियंत्रित की जा सकती हैं। अर्जुन की छाल का रस दिल की मांसपेशियों को मजबूत करने और फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुधारने के लिए लंबे समय से उपयोग किया जाता रहा है।
रक्त को पतला रखने में मददगार
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी अर्जुन की छाल के औषधीय गुणों को प्रमाणित किया है। यह रक्त को पतला रखने में मदद करती है, जिससे हृदय पर दबाव कम होता है और हार्ट अटैक जैसी स्थितियों का जोखिम घटता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें मौजूद टर्मिनैलिक एसिड, फ्लेवोनॉइड्स, और एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने में प्रभावी हैं। यह धमनियों को फैलाकर रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं और दिल की धड़कन को संतुलित बनाए रखते हैं।
होते है ये बड़े लाभ
खराब कोलेस्ट्रॉल में कमी
अच्छे कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोतरी
रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया पर नियंत्रण
हार्ट फेल्योर के खतरे में कमी जैसे कई महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं। इसके अलावा दमा, सांस फूलना, लगातार खांसी के साथ अपच, गैस, कब्ज और त्वचा संबंधी समस्याओं में भी यह औषधि राहत देने के लिए जानी जाती है।
कैसे करें सेवन?
आयुर्वेद विशेषज्ञ सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले अर्जुन की छाल का रस लेने की सलाह देते हैं। चिकित्सक की अनुमति के बाद इसे शहद या गुड़ के साथ भी लिया जा सकता है। काढ़ा या हर्बल ड्रिंक के रूप में इसका सेवन अधिक सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेने की हिदायत दी गई है।
नोट : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या या उपचार शुरू करने से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।