अनुराग दुबे
Tata Nano Car India: भोपाल। (TATA NAINO) नैनो दुनिया की पहली ऐसी कार जिसने भारतीय कार बाजार की नींद उड़ा कर रख दी। 16 साल पहले इस कार ने ऐसा भुचाल मचाया कि अच्छी से अच्छी कार कंपनिया पानी मांगने लगी थीं। 16 साल पहले टाटा मोर्टर्स (TATA MOTARS) की नैनो ने भारतीय बाजार और भारत की सड़कों पर पहला कदम रखा।
एक आम आदमी जीवन में कितनी ख्वाहिशें जीवन में हो सकती हैं। एक घर हो, अच्छी नौकरी और एक कार तो आम आदमी के सपनों में घुमती ही रहती है। इन्हीं सब बातों को सोचकर रतन टाटा की कंपनी (TATA MOTARS) ग्रुप ने ऐसी फैमिली कार बनाने की सोची जो सस्ती और सेफ हो और फिर ख्याल आया नैनो कार बनाने का इस कार को बना कर टाटा मोटर्स ने आम आदमी की जिंदगी में सीधे कदम रखा।
ऑटो एक्सपो 2008 में लोगों ने पहली बार टाटा नैनो की झलक देखी गई। इसे पीपुल्स ऑफ़ कार का नाम दिया गया और इस कार को बनाने के पीछे सोच थी कि बाइक और स्कूटी पर दौड़ने वाला इंसान अगर कार खरीदने की सोच रहा है तो वो तो टाटा नैनो को चुने।
10 जनवरी 2008
हालांकि नैनो की पहली नींव 10 जनवरी 2008 को ही रख दी गई थी मगर इसकी लांचिंग 23 मार्च 2009 को भारत की सड़कों पर फर्राटा भरने के लिए उतार दिया गया। इस कार को बनाने के पीछे का मकसद यह था कि 1 लाख रुपये में लोगों को अच्छी और सेफ कार उपलब्ध कराई जाए। मगर ऐसा हो नहीं पाया इस कार ऑन रोड कीमत ज्यादा पहुंच गई थी।
डब्बा कार की दी गई उपाधी
नैनो कार भारतीयों के भीतर “डब्बा कार” के नाम से प्रसिद्ध हुई डब्बा कार इसलिए की यह कहीं भी अपने आप को एडजस्ट कर लेती थी, वो इसलिए की भारत की गलियां सकरी हैं और इस कार का भी साइज ऐसा था कि वो कहीं भी घुस जाए फंसे ही ना। मगर अब सवाल उठता है कि जब कार इतनी सुलभ थी तो ऐसा क्या हुआ कि जिसके बाद कार का पूरा मार्केट ही तबाह हो गया और पल भर में ही यह कार बाजार ओंझल हो गई।
2019 में कार ने तोड़ा दम
साल 2019 आते आते टाटा नैनो की बिक्री लगभग शून्य हो गई और टाटा को इस कार का प्रोडक्शन ही बंद कर दिया। मगर इसकी खूबियां लोगों की जिंदगी में अभी रह गई हैं। सबसे छोटी कार होने के बावजूद इसमें काफी स्पेस था। वहीं, माइलेज के मामले में ये काफी शानदार कार रही। दो सिलेंडर इंजन और 106kmph की टॉप स्पीड के साथ नैनो की परफॉर्मेंस कमाल की थी।
गुजरात से शुरू हो कर बंगाल में हुआ सफर खत्म
दरअसल नैनो कार से तीन घटनाएं सामने आ गई वो थी आग लगने की लांचिंग से पहले ही एक कार में भयानक आग लग गई थी। इससे कस्टमर्स के बीच गलत मैसेज गया। ‘सबसे सस्ती कार’ की अग्रेसिव मार्केटिंग और आग लगने की घटना से सेफ्टी को लेकर कंफ्यूजन पैदा हुई और डिलीवरी के बीच बैलेंस नहीं बन पाया। वहीं, इस कार को दिया गया सबसे ज्यादा और सस्ती कार नाम बैकफायर कर गया।
नैनो के फ्लॉप होने की सबसे बड़ी वजह प्लॉट शिफ्टिंग की रही कंपनी को सिंगूर का ख्वाब छोड़ना पड़ा। इसके बाद टाटा नैनो के प्लांट को गुजरात के सानंद में शिफ्ट किया गया। यही मामला टाटा नैनो के सफर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। हालांकि, शुरुआत में टाटा नैनो का प्रोडक्शन उत्तराखंड के पंतनगर प्लांट में किया गया। नैनो का जो डेडिकेटेड प्लांट पश्चिम बंगाल में लगाया था उसे गुजरात में शिफ्ट किया और इसी कारण प्रोडक्शन कैपेसिटी पर काफ़ी असर पड़ा और कंपनी अपने द्वारा दिए गए समय पर कार की डिलीवरी नहीं कर पाई।