नई दिल्ली। गलवान घाटी में भारत-चीन झड़प के बाद दिए गए बयान को लेकर राहुल गांधी पर दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि कोर्ट ने राहुल गांधी की आलोचना भी की और सवाल उठाए कि उन्होंने बिना प्रमाण के ऐसा गंभीर बयान कैसे दे दिया।
“क्या आप घटनास्थल पर थे?” – सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा, "आपको कैसे पता कि चीनी सेना ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा किया? क्या आपके पास कोई सबूत है? यदि आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा बयान नहीं देते।"
“बात कहनी है तो संसद में कहिए” – कोर्ट
राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि एक विपक्षी नेता को मुद्दे उठाने का हक होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा, "आप अपनी बात संसद में क्यों नहीं रखते? सोशल मीडिया ही क्यों?" कोर्ट ने यह भी कहा कि सीमा विवाद जैसे मामलों में “सिर्फ चिंता जताना काफी नहीं, मंच और तरीका भी उपयुक्त होना चाहिए।”
क्या है मामला?
राहुल गांधी ने 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दावा किया था कि गलवान संघर्ष के बाद चीन ने भारतीय क्षेत्र में 2000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है। इस पर BRO के पूर्व महानिदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि गांधी के बयान से सेना की छवि को ठेस पहुंची है।
हाईकोर्ट से याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट से राहत
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने कहा था कि शिकायत दुर्भावना से प्रेरित है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राहुल गांधी के खिलाफ जारी कार्यवाही पर रोक लगाई है और उत्तर प्रदेश सरकार व शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है।