मुकेश शर्मा, शाजापुर : शाजापुर जिले में लंबे समय से नीलगाय और हिरणों के झुंड फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसान परेशान थे। अब इस समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। मध्यप्रदेश सरकार के निर्देश पर दक्षिण अफ्रीका की विशेषज्ञ टीम जिले में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने आ रही है।
15 अक्टूबर से शुरू होगा अभियान
यह रेस्क्यू अभियान 15 अक्टूबर से कालापीपल विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में शुरू होगा। इसके तहत ग्राम उमरसिंगी, खड़ी रोड, इमलीखेड़ा, भानियाखेड़ी, डुगलाय और अरनियाकला को प्रमुख पॉइंट बनाया गया है। जानकारी के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका की यह टीम 14 अक्टूबर को रवाना होगी और अगले दिन से अभियान की शुरुआत होगी।
हिस्सा लेगी 12 सदस्यीय टीम
रेस्क्यू अभियान में विश्वस्तर के पांच विशेषज्ञों सहित 12 सदस्यीय टीम हिस्सा लेगी। टीम बोमा पद्धति (Boma Technique) से हिरण और नीलगायों को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करेगी। अभियान की निगरानी भोपाल से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। शुजालपुर से लेकर कालापीपल विधानसभा तक अलग-अलग स्थानों पर विशेष पॉइंट बनाए गए हैं। वन विभाग के एसडीओ फतह सिंह निमाना ने बताया कि सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं और ऑपरेशन में हेलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया जाएगा ताकि जंगली जानवरों को तेजी से पकड़ा जा सके।
किसानों को मिलेगी राहत
स्थानीय किसानों ने भी इस पहल का स्वागत किया है। ग्राम उमरसिंगी खड़ी के किसान कमल सिंह गुर्जर और सुभाष पारीदार ने कहा कि पहले भी टीम ने क्षेत्र का सर्वे किया था, लेकिन अब जमीन पर कार्रवाई शुरू होने से किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। उनका कहना है कि अगर यह रेस्क्यू सफल होता है तो गेहूं, चना, मसूर और प्याज जैसी फसलों को भारी नुकसान से बचाया जा सकेगा।
विधायक ने रखी थी बात
वहीं, कालापीपल विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने बताया कि किसानों की शिकायतों को कई बार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष रखा गया था। सरकार की संवेदनशीलता और तत्परता के चलते अब यह अभियान हकीकत बनने जा रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि जिन क्षेत्रों में हिरण या नीलगायों के झुंड दिखाई दें, वहां की सूचना तुरंत वन विभाग को दें ताकि रेस्क्यू टीम सही समय पर पहुंच सके। यह अनोखा रेस्क्यू ऑपरेशन प्रदेश में पहली बार इस पैमाने पर होने जा रहा है। उम्मीद है कि इससे न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि फसल संरक्षण और वन्यजीव प्रबंधन में एक नई मिसाल भी कायम होगी।