Bhopal News: भोपाल। प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग की ओर से गणतंत्र दिवस के अवसर पर जनजातीय और लोक कलाओं के 39वें राष्ट्रीय समारोह 'लोकरंग' का शुभारंभ रवींद्र भवन परिसर में 26 जनवरी को शाम छह बजे होगा। शुभारंभ अवसर पर महान संत रविदास के जीवन और उनकी वाणी को समवेत नृत्य-नाट्य “संत रैदास” प्रस्तुति सौ कलाकार देंगे। 27 से 29 जनवरी तक दोपहर दो बजे से विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन एवं प्रदर्शन किया जाएगा।
यह समारोह पारंपरिक बहुवर्णी नृत्य, गायन-वादन, शिल्प और व्यंजन मेला केंद्रित होगा। समारोह में घुमंतू समुदायों नट, रेवाड़ी, जोगी एवं गड़िया लोहार के डेरा (आवास) एवं घरेलू जीवनोपयोगी वस्तुओं का प्रदर्शन होगा। वहीं लोकवार्ता में संस्कृति विभाग के प्रकाशन, बतकही में पद्मश्री जुधैया बाई के चित्रों की प्रदर्शनी, प्रतिरूप अंतर्गत मुखौटों की कार्यशाला, सांस्कृतिक परंपरा में साधु और सन्यासी विषयक संगोष्ठी भी आयोजित होगी। समारोह के अंतिम दिन 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर मुंबई की ख्यात गायिका स्वाति मिश्रा अपने साथी कलाकारों के साथ गायन प्रस्तुति देंगी।
लोकराग और देशराग
इसके अंतर्गत 27 जनवरी को दोपहर दो बजे से आंचलिक गायन में बुंदेली कछियाई गायन मप्र, हरबोला गायन महाराष्ट्र की प्रस्तुति होगी। 28 जनवरी को बसदेवा एवं निमाड़ी गायन, 29 को डक्कलवार एवं पोतराज और मालवी गायन की प्रस्तुति का संयोजन किया जाएगा। देशराग अंतर्गत हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश की गायन प्रस्तुतियां होंगी। 27 जनवरी को शाम छह बजे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वृंदगान, सिम्फनी, वाल्टज और भारतीय शास्त्रीय संगीत फ्यूजन, मयूरभंज छाऊ नृत्य की भी प्रस्तुति होगी।
धरोहर और देशांतर
इसमें मप्र समेत 14 राज्यों के जनजातीय एवं लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं 'देशांतर' में विदेशी सांस्कृतिक कलारूपों में संगीत एवं नृत्यों की प्रस्तुतियां होंगी। धरोहर में इस बार मप्र, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, कश्मीर, असम, कर्नाटक, हिमाचल, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के नृत्यों की प्रस्तुति को शामिल किया गया है। 'देशांतर' में तीन दिवस ब्राजील, अर्जेंटीना एवं बुल्गारिया के सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुतियां होंगी।
शिल्प मेला
लोकरंग में विविध प्रकार के शिल्पों के मेले की एक विशिष्ट पहचान है। इस बार पारंपरिक शिल्पियों द्वारा शिल्प मेले में पारंपरिक शिल्पों की बिक्री व प्रदर्शन किया जाएगा।
स्वाद
लोकरंग के परिसर में एक आकर्षण व्यंजन मेले का भी है। इस बार करीब 15 जनजातीय और क्षेत्रीय व्यंजनकार भाग लेकर अपने व्यंजनों को प्रस्तुत करेंगे, जिसमें बैगा,कोरकू, निमाड़ी, बघेली, भोजपुरी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, अवधी व्यंजन होंगे।
उल्लास
इसके अंतर्गत मलखंभ, बहरूपिया, नट कला, कठपुतली प्रदर्शन होगा। इसके अलावा और भी कई छोटे-छोटे आयामों में बच्चों के मनोरंजन, ज्ञान एवं आनंद के उपक्रम किए जाएंगे।