रिपोटर : सैय्यद वाजिद मुंगेली : प्रदेश के मुंगेली जिले में अपनी बेटियों के लिए विपरीत सोचने वालो को इस माता पिता के हौसलें को देखना चाहिए, जिन्होंने अपनी बेटी की जिंदगी के लिए पूरी जमापूंजी खपा दी है। विगत 4 सालो से इनकी बेटी कोमा में रहकर जिंदगी नहीं छोड़ी है. पर इनके आर्थिक हालातो से जूझते हुए माता पिता को शासन प्रशासन से उम्मीद है.ताकि इनकी बिटिया का उचित उपचार हो और वो अपने घर मे पहले की तरह मुस्कान बिखेरे सके. कैसे एक हंसते खेलते परिवार में एक पल में माहौल ही बदलकर रख दिया विगत 4 सालो से यह परिवार बेबसी के आंसू बहा रहा है पढ़िए पूरी खबर-
सिसकती माँ बेबस पिता
माँ के न थमने वाले आंसू और बेबस पिता के हालात देखकर हर किसी का दिल पसीज जाएगा.आर्थिक तंगी और हालातो से बेबस यह परिवार हैसियत के अनुसार अपनी बेटी के इलाज के लिए वो बेटी जो पिछले 4 सालों से कोमा में है. जिसके लिए हर सम्भव कोशिश की पर उचित इलाज के लिए अब इनके पास शासन से मदद के अलावा और कोई उपाय नहीं हो पाया है। तस्वीर छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के एक छोटे से गांव केस्तरा का है. जहाँ राजेश यादव का हँसता खेलता छोटा सा परिवार माता पिता अपने 2 बेटे और 1 बेटी के साथ खुशहाल जीवन गुजार रहा था. ना जाने इस परिवार को किसकी नजर लगी कि एक पल में ही यह परिवार में माहौल ही बदलकर रख दिया ,और विगत 4 सालो से पूरा परिवार परेशान है.इनकी इकलौती बेटी भावना अचानक 8 दिसम्बर 2020 से ऐसे बीमार पड़ी की वो कभी सामान्य रूप में आ नहीं सकी यही वजह है कि भावना आज दिनांक तक कोमा में है. माता पिता इसकी खूब सेवा कर रहे है और खानपान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. भोजन इसे पाइप के माध्यम से दिया जा रहा है. भावना के इलाज के लिए कुछ जरूरी मशीन है वो परिजनों ने खरीदा हुआ है। भावना 6वी कक्षा की छात्र थी जब उसकी तबियत खराब हुई और पढ़ाई में भी होनहार रही है.
लाखो लगाए पर नहीं हुआ सेहत में सुधार,बागेश्वर धाम भी गया था परिवार
मातापिता अपने हैसियत के अनुसार मुंगेली से लेकर रायपुर तक इलाज करवाकर लाखो रुपये लगाए पर स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका. डॉक्टरो ने बताया कि भावना लाइलाज बीमार से ग्रस्त है. जो कभी ठीक हो पाएगी या नहीं इसके लिए कोई भी डॉक्टर ने स्पष्ट नही किया है.भावना के माता पिता ने भगवान का कोई चमत्कार हो इसके लिए कई मंदिरों में मत्था टेका यहां तक के बागेश्वर धाम तक पहुंच चुके है, लेकिन हालात बदल नहीं पाए हैं.
वेल्युर जाने की सलाह पर मुफलिसी बना रोड़ा
विशेषज्ञ डॉक्टरो ने इन्हें वेल्युर जाने की सलाह दी है. पर परिवार के यह हालात नहीं की अपनी बिटिया को वहां ले जा सके.ऐसा नहीं है कि इन्होंने शासन प्रशासन से मदद नही मांगी पर स्थिति जब विपरीत हो तो फिर कोई सुनता कहा है.थक हारकर यह परिवार बेबसी के आंसू बहाने को मजबूर है, और भगवान से प्रार्थना कर रहे कि कहीं से कोई चमत्कार हो कोई इनके हालात परिस्थितियों को समझे ताकि उनकी बिटिया का बेहतर उपचार हो वो पहले जैसे हो जाए और सबकुछ परिवार में सामान्य हो जाए.
इस संस्था ने की मदद,कलेक्टर जाएंगे पीड़िता के गांव
मुंगेली की एक निजी संस्था प्रयास अस्माल स्टेप के द्वारा पीड़ित परिवार को 31 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई, साथ ही उन्होंने भी अपील की है कि इस परिवार की मदद में सक्षम लोग सामने आए.भावना के मातापिता ने अपने हैसियत के आधार पर उसका इलाज करवाया वहीं उम्मीद अब प्रशासन से है कि इस बिटिया की बेहतर उपचार हो मामले की जानकारी कलेक्टर राहुल देव को दी गई तब उन्होंने कहा है कि वो सीएमएचओ के साथ उनके घर जाकर देखकर उनके लिए क्या मदद की जा सकती है. उसके लिए हर सम्भव कोशिश की करेंगे।
इस परिवार के दर्द पर आप लगा सकते है मरहम
प्रशासन तो अपने तरह से इस बिटिया की जो मदद है. वो करेगी लेकिन अगर आप भी इनकी मदद करना चाहते है तो सामने आईए.क्योंकि कहते है न कि "किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार जीना इसी का नाम है" आपकी एक मदद किसी की जिंदगी बचा सकती हैं, और इस बेबस परिवार की मुस्कान बिखेर सकती है.