Bhopal Tigers Movement : राजधानी भोपाल से सटे केरवा के घने जंगल इन दिनों अवैध गतिविधियों का केंद्र बनते जा रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र की अमूल्य जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस क्षेत्र में बाघों का सबसे ज्यादा मूवमेंट रहता है, साथ ही अन्य वन्य प्राणी भी बढ़ी संख्या में घूमते रहते हैं।
सड़क पर आया बाघ
बीते सोमवार को भी केरवा के चंदनपुरा क्षेत्र में सड़कों पर बाघ घूमता हुआ देखा गया था। वन विभाग की टीम ने सर्चिग की लेकिन कुछ नहीं मिला। लेकिन इस सबके बीच इस क्षेत्र में वन भूमि पर तेजी से फैल रहा झुग्गियों का अतिक्रमण, वन्यजीवों के शिकार की बढ़ती घटनाएं और वन सुरक्षा व्यवस्था में बरती जा रही लापरवाही ने स्थिति को बदतर बना दिया है।
कब्जे और शिकार ने बढ़ाई चिंता
समरधा क्षेत्र में झुग्गियों का अवैध फैलाव चिंता का विषय बन गया है। जंगल के भीतर लोग अवैध रूप से बस रहे हैं, जिससे न केवल बहुमूल्य वन भूमि पर कब्जा हो रहा है, बल्कि पेड़ों की कटाई और अन्य वन संसाधनों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही, वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं में भी बढ़ रही है, जो वन्य प्राणी संरक्षण कानूनों का सीधा उल्लंघन है।
टूटी सुरक्षा घेराबंदी दे रही रास्ता
वन विभाग द्वारा जंगल की सुरक्षा के लिए लगाई गई जाल और बाड़ (फेन्सिंग) कई स्थानों पर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इस बदहाल सुरक्षा घेराबंदी का फायदा उठाकर अतिक्रमणकारी और शिकारी बिना किसी भय के आसानी से जंगल में प्रवेश कर रहे हैं। https://pelletgrillsmoker.com/issues-problems-with-pellet-grill-smokers-troubleshooting-tipवन विभाग की ओर से अब तक इन अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण जिससे अवैध काम करने वालों के हौसले और बढ़ रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो केरवा का ये हराभरा जंगल हमेशा के लिए खत्म हो सकता है। इसका असर सिर्फ जानवरों और पेड़ों पर ही नहीं, बल्कि पूरे भोपाल के पर्यावरण पर पड़ेगा।