भोपाल। मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह और मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, मानसरोवर डेंटल कॉलेज और श्री साईं इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च एंड मेडिसिन की ग्रेजुएशन डे सेरेमनी पर देश की नामचीन हस्तियों को मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। साथ ही कुल 400 से अधिक स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध के विद्यार्थियों को नियमित उपाधियां प्रदान की गईं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार, रामेश्वर शर्मा, डॉ. अशोक वार्ष्णेय और डॉ. भरत शरण सिंह सहित मानसरोवर की कुलाधिपति मंजुला तिवारी, मुख्य कार्यकारी निदेशक गौरव तिवारी, प्रति कुलाधिपति डॉ. अरुण कुमार पांडेय और कुलगुरु डॉ. एएस यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत
मानसारोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. एएस यादव ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि विवि को गत वर्ष विभिन्न पतलों पर ख्याति प्राप्त हुई। इससे पहले प्री कॉन्वोकेशन कॉन्क्लेव में विवि के प्रो. चांसलर डॉ. अरुण कुमार पांडेय ने मानद उपाधि से सम्मानित हुईं देश की नामचीन हस्तियों के स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। अंत में प्रो. वाइस चांसलर कर्नल एचआर रूहिल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया, जिसके बाद राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
हस्तियों और प्रतिभाओं का सम्मान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का स्वागत मानसरोवर ग्रुप की चांसलर मंजुला तिवारी द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की नामचीन हस्तियों और प्रतिभाओं के सम्मान से मध्यप्रदेश की धरती एक बार फिर गौरवान्वित हो रही है। यहां मानसरोवर के प्रांगण में हम सभी हैं और ईश्वर से जहां आपका साक्षात्कार हो जाए ऐसा स्थान मानसरोवर कहलाता है। इससे पहले प्री कॉन्क्लेव सेशन में देश की जानी-मानी हस्तियों आचार्य पुंडरीक गोस्वामी, रघुवीर यादव, डॉ. विजय हरिभक्ति, डॉ. युगल किशोर मिश्र, पद्मश्री कालूराम बामनिया, फिल्ममेकर जयप्रद देसाई, गीतकार राज शेखर, डॉ. पाटनकर, नीलोत्पल मृणाल, लेखक दिव्य प्रकाश दुबे और आर्किटेक्ट बकुल चंद्रा समेत अन्य प्रतिष्ठित विद्वानों को मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
मानसरोवर समूह के मुख्य कार्यकारी निदेशक गौरव तिवारी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय के संस्थापक मेरे पिता ब्रह्मलीन श्कमलाकांत तिवारी ने समाज के हर तबके तक उच्च गुणवत्ता की शिक्षा पहुंचाने का जो स्वप्न देखा था आज वो सच होता नज़र आ रहा है।