भोपाल। श्रीगौर राधा मदन गोपाल मंदिर शांति नगर बैरसिया रोड से निकलने वाली भगवान जन्नाथ रथ यात्रा का यह 40वां वर्ष है। इस बार भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा 7 जुलाई रविवार को धूमधाम से निकाली जाएगी। जानकारी देते हुए प्रमोद नेमा एवं दीपिका माहेश्वरी ने बताया कि वृंदावन से पधारे वासुदेव शरण महाराज ने 40 वर्ष पूर्व स्वर्गीय द्वारका प्रसाद एवं हरि विष्णु माहेश्वरी के निवास शांति नगर में भगवान जगन्नाथ एवं श्रीराधा कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करवा कर रथ यात्रा शुरू की थी, अब उनका परिवार यह दायित्व निभा रहा है।
पुराने शहर से निकलेगी
आयोजन समिति के राहुल सिंह ने बताया इस वर्ष भी फूलों से सुसज्जित रथ में भगवान जगन्नाथ माता सुभद्रा भाई बलदेव की प्रतिमा को विराजित कर सांसद आलोक शर्मा, मंत्री विश्वास सारंग, कृष्णा गौर, महापौर मालती राय आदि अपने हाथों से रथ को खींचकर यात्रा प्रारंभ करेंगे। रथ यात्रा मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर बस स्टैंड, घोड़ा नक्कास, मंगलवारा, इतवारा, चौक बाजार लखेरापुरा, भवानी चौक सोमवारा, बाल विहार, भोपाल टॉकीज से वापस मंदिर परिसर में संपन्न होगी। यात्रा में ब्रास बैंड ढोल ताशे धर्म ध्वज कीर्तन मंडली भी शामिल रहेंगी।
निकाली जा रही प्रात: श्री हरिनाम संकीर्तन प्रभात फेरी
जगन्नाथपुरी की ही तर्ज पर यह रथयात्रा पिछले 40 वर्षों से श्रीमन चैतन्य महाप्रभु जी की वैष्णव परंपरा के अंतर्गत श्री चैैतन्य प्रेम भक्ति संघ द्वारा निकाली जा रही है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अलग अलग क्षेत्रों में प्रात: श्री हरिनाम संकीर्तन प्रभात फेरी निकाली जा रही है।
मानस भवन से होगी प्रारंभ
7 जुलाई को अपराह्न 12 बजे विशाल रथयात्रा मानस भवन से प्रारंभ होगी। यह रथयात्रा मानस भवन से प्रारंभ होकर रोशनपुरा चौराहा, न्यू मार्केट, रंगमहल चौराहे से होते हुए पुन: मानस भवन पर समापन होगी। यह आयोजन वृंदावन से पधारे वैष्णव परंपरा के आचार्य हरेकृष्ण दास ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में हो रहा। इसमें भारत भर के कई भक्त जन, संकीर्तन कार पधार रहे हैं। सभी भक्त बहुत ही उत्साह के साथ भगवान जगन्नाथ के सामने नृत्य करते हुए इस उत्सव में सम्मिलित होते हैं।
श्रीजी मंदिर लखेरापुरा में रथयात्रा महोत्सव मनेगा, 124 वर्ष पुराना रथ होने लगा तैयार
राजधानी के लखेराुपरा श्रीजी मंदिर में सात जुलाई को निकाली जाने वाली रथ यात्रा की तैयारियां गुरुवार से शुरू कर दी गई हैं। मंदिर के प्रमुख पंडित श्रीकांत शर्मा ने बताया कि जगन्नाथ जी में रथयात्रा दूज के दिन होती है। पुष्टिमार्ग में महाप्रभुजी वल्लभाचार्य ने इसका नियम पुष्य नक्षत्र वाले दिन बताया है। जिस दिन पुष्य नक्षत्र हो उसी दिन रथयात्रा होती है तो इस वर्ष सात जुलाई को यह संयोग रहेगा। रथ लकड़ी से निर्मित 124 वर्ष पुराना है। इसमें आठ पहिए और 16 खंभे हैं। इस रथ को गुजरात के सनखेड़ा के कारीगरों ने बनाया था। पहले तो यह पूरी तरह लकड़ी का था पर अब इसके ऊपरी (छतरी) को 51 साल पहले चांदी का कराया गया और इसकी विशेष बात यह है कि यह पूरी तरह फोल्डेबल है। इसका हर हिस्सा अलग हो जाता है। इसमें यह भी लकड़ी के ही बने हुए हैं। 4 जुलाई से यह रथ यात्रा की तैयारी शुरू हो जाएगी।
इस बार रथ में मरम्मत करा कर थोड़ा परिवर्तन किया जा रहा है, इस रथ में घोड़े नहीं लगते। इसके पीछे यह भाव है कि यहां बाल भाव की सेवा है तो ब्रज में सभी गोपियां प्रभु को खुद ही धक्का देकर ब्रज में घुमाती थीं। इससे प्रभु आनंदित होते थे। सिर्फ घोड़े को सजावट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसी भाव से इसमें घोड़े नहीं लगते हैं। रथ को मंदिर के बाहर नहीं ले जाया जाता है। मंदिर के अंदर ही प्रभु को विराजमान करके भ्रमण कराया जाता है। इस बार नाथ द्वारा से डोरिया के सफेद वस्त्र की पिछवई भी मंगाई गई है। छह जुलाई को वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच रथ को जोड़कर तैयार किया जाएगा।