बुदनी। मध्य प्रदेश के बुदनी जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर किमी दूर स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर में जितनी ज़ोर से भगवान भालेनाथ का जयकारा लगाया जाता है, उतनी ही तेजी से गुफा में से शिवलिंग पर जल से अभिषेक होता है।
आपको बता दें की बुदनी तहसील में स्थित भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर को इसी कारण से टपककेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। श्रावण माह ही नहीं यहां पूरे बारह महीने प्रकृति भगवान शिव का अभिषेक करती रहती है। टपकेश्वर महादेव मंदिर बुदनी तहसील में आने वाले नकटीतलाई गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर विध्यांचल पर्वतों की पहाडिय़ों में बीचों-बीच स्थित है। टपकेश्वर महादेव मंदिर जाने के लिए भक्तों को दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर जाना पड़ता है।
बुदनी-संदलपुर सेन्ट्रल हाईवे क्रमांक 22 के सलकनपुर से कुछ दूरी पर दुर्गम पहाड़ी में एक चैतन्य महादेव की गुफा है। उसी जगह मंदिर स्थित है। जानकारों का कहना है कि यहां भयंकर गर्मी के दिनों में पहाड़ों से पानी रिसता रहता है। इस पानी से नित्य-निरंतर भगवान भोले का अभिषेक होता रहता है। टपकते हुए पानी से भगवान का अभिषेक होने के कारण इनका नाम टपकेश्वर महादेव पड़ गया है। यहां साल के 12 महीने श्रद्धालु अभिषेक-पूजन करने आते ही रहते है। टपकेश्वर महादेव मंदिर में पानी का स्रोत कहां से आता है, यह बात आज तक रहस्य बना हुआ है। चट्टानों से बनी गुफा की विशेषता देखते ही बनती है। यहां विशेष पूजा-अर्चना यूं तो पूरे वर्ष चलती रहती है, लेकिन श्रावण सोमवार में इस स्थान का महत्व और बढ़ जाता है।