दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में चल रहे "लोन वर्राटू (घर वापस आइए)" अभियान के तहत नक्सलवाद की राह छोड़कर 7 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में 2 इनामी नक्सली भी शामिल हैं, जिन पर सरकार ने 50-50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था।
इन नक्सलियों का हुआ आत्मसमर्पण:
जुगलू उर्फ सुंडुम कोवासी – पोमरा आरपीसी सीएनएम सदस्य (₹50,000 इनाम)
दशा उर्फ बुरकू पोड़ियाम – पोमरा आरपीसी सीएनएम सदस्य (₹50,000 इनाम)
भोजा राम माड़वी – बोदली आरपीसी जनताना सरकार सदस्य
लखमा उर्फ सुती Slot gacor terpercaya उर्फ लखन मरकाम – उतला आरपीसी मिलिशिया सदस्य
रातू उर्फ ओठे कोवासी – बेचापाल आरपीसी मूलवासी बचाओ मंच सदस्य
सुखराम पोड़ियाम – पल्लेवाया आरपीसी अंतर्गत करकावाड़ा जीआरडी सदस्य
पंडरू राम पोड़ियाम – डुंगा आरपीसी मिलिशिया सदस्य
कई नक्सली गतिविधियों में थे शामिल:
आत्मसमर्पित सभी माओवादी अपने-अपने क्षेत्रों में नक्सली बंद के दौरान सड़क काटना, पेड़ गिराना, पोस्टर-बैनर लगाना जैसी गतिविधियों में शामिल रहे थे। ये सभी विभिन्न आरपीसी क्षेत्रों में सक्रिय होकर नक्सली हिंसा को अंजाम दे चुके हैं।
991 नक्सली लौटे समाज की मुख्यधारा में:
"लोन वर्राटू" अभियान की शुरुआत से अब तक 991 माओवादी, जिनमें 238 इनामी नक्सली भी शामिल हैं, समाज की मुख्यधारा में लौट चुके हैं। यह अभियान नक्सल प्रभावित इलाकों में गांव-गांव जाकर संवाद के जरिए लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है।
मिलेगी पुनर्वास की सुविधा:
सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पित माओवादियों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता के साथ-साथ कौशल विकास प्रशिक्षण, कृषि भूमि, और अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी। यह पहल भटके युवाओं को स्थायी रोजगार और सम्मानजनक जीवन की ओर प्रेरित कर रही है।
सरकार और सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता:
दंतेवाड़ा पुलिस, सीआरपीएफ और बस्तर फाइटर्स की संयुक्त कोशिशों से यह आत्मसमर्पण संभव हो सका है। नक्सलियों के भीतर फैले मतभेद, हिंसा और शोषण से मोहभंग तथा जंगल में जीवन की कठिनाइयों के चलते ये माओवादी अब शांति और विकास की राह पर लौट रहे हैं। लोन वर्राटू अभियान अब छत्तीसगढ़ में माओवाद के खात्मे की सबसे सफल रणनीतियों में से एक बनकर उभरा है।