भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से बड़ी खबर सामने आई है। जहां उच्च शिक्षा विभाग ने एक फरमान जारी किया है। जिसमें नियमों के पालन को लेकर विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। बता दें कि जारी फरमान में कहा गया है कि कोई भी प्रोफेसर व अन्य कर्मचारी उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से सीधे नही मिल सकते है। इस फरमान को न मानने वालों पर कड़ी करवाई की भी बात कही गई है। जानें क्या है पूरा मामला।
आपको बता दें कि पत्र में लिखा गया है कि, 'प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पदस्थ अधिकारियो और कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन अपनी पदोन्नति, विभागीय जांच अथवा स्थानांतरण इत्यादि संबंधी प्रार्थना करने के लिए मंत्री उच्च शिक्षा से मिलते है एवं उन्हें सीधे पत्र लिखते है। इस प्रकार का आचरण सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए न तो नियमानुकूल और न शोभनीय है। शासन के आदेशानुसार भविष्य में कोई भी महाविद्यालयीन शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संवर्ग के अधिकारी, कर्मचारी मंत्री जी, उच्च शिक्षा से सीधे संपर्क न साधे एवं न ही पत्र लिखे, बल्कि उचित मार्ग द्वारा शासन की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें। यदि भविष्य में कोई भी प्राध्यापक, अधिकारी एवं अन्य शासकीय सेवक विभागाध्यक्ष की लिखित अनुमति के बिना माननीय मंत्री जी से संपर्क करेगा अथवा सीधे पत्र लिखेगा तो उसके विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक करवाई प्रस्तावित की जाएगी।'
बता दें कि 28 मई को राजधानी भोपाल के शासकीय महात्मा गांधी सीएम राइज स्कूल से कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। जानकारी के अनुसार स्कूल के कुल 9 शिक्षकों ने अपना तबादला रुकवाने के लिए आयुक्त लोक शिक्षण, पीएस स्कूल शिक्षा सहित अन्य अफसरों को आवेदन दिया था। सुनवाई नहीं होने पर यह शिक्षक सीधे सीएम निवास पहुंच गए थे। जहां ये शिक्षक सीएम की गैर मौजूदगी में अफसरों को आवेदन देकर आ गए थे। अफसरों द्वारा दिया गया आवेदन जब मुख्य सचिव के पास पहुंचा तो उन्होंने पीएस को कार्रवाई के निर्देश दिए थे।जिसके बाद डीईओ अंजनी कुमार त्रिपाठी ने 6 शिक्षकों को निलंबित कर दिया था, जबकि कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बाकी अन्य 3 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया था। ऐसी घटना फिर से न दोहराई जाए। इसलिए यह बड़ा कदम उठाया गया है।