दतिया। भारत सरकार की मनरेगा योजना जो गांव में जरूरतमंद मनरेगा श्रमिकों को रोजगार देने के लिए सरकार ने शुरू की थी। सरकार ने तमाम परियोजना चालू कर उस पर मनरेगा श्रमिकों को रोजगार देने का रास्ते बनाए हैं। लेकिन गांव में बन रहे अमृत सरोवर योजना जिसमें पोखरों की खुदाई कर उसे सुंदरीकरण करना है। जिसमें मनरेगा मजदूरों द्वारा श्रम की व्यवस्था है।भही हम बात करें दतिया जिले की तो, जिले में 75 अमृत सरोवर स्वीकृत हुए है और इनमें से तकरीबन 64 तलावों का कार्य पूर्ण हो चुका है। लेकिन आपको बताते चलें कि दतिया जिले की ग्राम पंचायतों में बने 64 तालाबों में अधिकतर तालाबों का कार्य जेसीबी मशीन से कराया गया।
मनरेगा योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट
मजदूरों को मजदूरी के नाम पर यहां कुछ नहीं मिला। अमृतसर सरोवर कार्य की बागडोर संभाल रहे लोगों ने फर्जी मस्टररोल लगाकर भुगतान भी कर लिया। सूत्रो की अगर मानें तो जिम्मेदार अधिकारी न तो मौके पर देखने जाते और न ही मौके पर कोई मनरेगा मजदूर ही काम करते हैं। केवल कागजों में फर्जी मजदूर दिखा भुगतान करा लिया जाता है, कुल मिलाकर कर देखा जाए तो यह मनरेगा योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती हुई नजर आ रहा है।
बिना कैमरे के सामने आए दिए गोलमोल जवाब
इस संबंध में जब जनपद पंचायत दतिया के सीईओ विनीत त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने अभिज्ञता जाहिर करते हुए कैमरे के सामने आने से मना कर दिया। और बिना कैमरे के सामने आए गोलमोल जवाब देते हुए जांच करने की बात कही। दतिया जिला पंचायत सीओ कमलेश भार्गव का इस मामले में कहना है कि तालाबों पर हुए कार्य की टीम बनाकर जांच कराएंगे अगर काम जेसीबी मशीन से हुआ है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि इस पर क्या कार्रवाई होती है या इसी तरह यह योजना कागजी आंकड़ों में मनरेगा मजदूर काम करते रहेंगे?..
रिपोर्टर- राजीव मिश्रा