MP Nigam Mandal Niyukti : प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही राजनीतिक नियुक्तियाें का काम रुका हुआ है। अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष निर्वाचन के बाद उम्मीद जताई जाने लगे है कि अब निगम-मंडलों, आयोगों में नियुक्तियां और मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। ऐसी अटकले अब लागई जाने लगी है। मोहन सरकार की टीम में 4 पद खाली हैं। तो वही निगम मंडलों के कई पद खाली हैं।
ये बन सकते है मंत्री?
मध्यप्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद अब कयासों का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल में फेरबदल कभी भी हो सकता है। इसके लिए कवायद कभी भी शुरू की जा सकती है। विधानसभा की सदस्य संख्या के लिहाज से मंत्रिमंडल में कुल 35 सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री डॉ यादव सहित 31 सदस्य हैं। इस लिहाज से 4 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। हरिभूमि की खबर के अनुसार डॉ यादव ने नेतृत्व के साथ चर्चा के बाद ये 4 नए चेहरे ढूंढ़ लिए हैं। इनमें पहले नंबर पर हैं 9 बार से लगातार विधायक पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव। दूसरे नंबर पर छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से विधायक कमलेश शाह का नाम है।
शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से तोड़ कर लाया गया था। शाह पहले ऐसे विधायक थे जिन्होंने कांग्रेस छोड़ने के साथ सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और उप चुनाव जीत कर विधायक बने थे। इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आश्वासन मिला था, लेकिन अब तक इंतजार ही कर रहे हैं। तीसरे नंबर पर हैं भाेपाल की हुजूर सीट से विधायक कट्टर हिंदू नेता की छवि वाले रामेश्वर शर्मा। इनका मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना तय माना जा रहा हैं। अंतिम नाम पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस का है। देवी अहिल्याबाई की जन्म शताब्दी के कारण नारी शक्ति के तौर पर चिटनीस को जगह मिल सकती है।
निगम-मंडल नियुक्तियां!
मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से निगम-मंडलों की नियुक्तियों को लेकर हलचल शुरू हो गई है। प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार को कार्यभार संभाले करीब डेढ़ साल हो चुका है, लेकिन अब तक निगम-मंडलों और सहायक संस्थाओं में नए चेहरों को नियुक्त नहीं किया गया है। हालांकि अब प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद यह संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही इन नियुक्तियों पर अंतिम मुहर लग सकती है।
दावेदारों की बढ़ी सक्रियता!
नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की खबर सामने आने के बाद से इस दिशा में नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। लंबे समय से इन पदों की प्रतीक्षा कर रहे भाजपा नेता एक बार फिर राजधानी भोपाल में डेरा डालने लगे हैं। साथ ही, वे नेता जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में टिकट की दौड़ में पीछे रह गए थे या जो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे, वे भी खुद को योग्य उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने गठन के बाद पिछली सरकार द्वारा की गई सभी निगम-मंडल नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन अब कयास लगाए जा रहे है कि सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू किया जा सकता है।
इन्हें मिलेगी प्राथमिकता!
विशेष रूप से वे नेता, जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट की दौड़ में थे पर चयन नहीं हो पाया, या जिन्होंने चुनाव के पूर्व कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थामा था, उन्हें प्राथमिकता मिलने की संभावना है। इसके अलावा संगठन में वर्षों से काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भी इस प्रक्रिया में स्थान मिलने की उम्मीद की जा रही है। निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर इस बार संगठन और सरकार दोनों स्तर पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है, ताकि सभी वर्गों और क्षेत्रों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह कदम भाजपा के लिए आगामी चुनावों में मजबूत रणनीति का हिस्सा बन सकता है।