राजा शर्मा// डोंगरगढ़: डोंगरगढ़ विकासखंड से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम माटेकटा में अवैध लाल ईंट निर्माण पर प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। एसडीएम अभिषेक तिवारी के नेतृत्व में तहसीलदार और राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर छापा मारते हुए दो बड़े लाल ईंट भट्टों को पकड़ा है। जांच के दौरान वहां 13 पुराने आम के फलदार पेड़ कटे हुए पाए गए, जिन्हें अवैध रूप से हटाकर ईंट भट्टा तैयार किया गया था। बाजार मूल्य के अनुसार यह लकड़ी और ईंटें लाखों रुपये की हो सकती हैं।
अवैध खनन बना पर्यावरण के लिए खतरा
डोंगरगढ़ सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रेत, मुरम खनन और लाल ईंट निर्माण लंबे समय से धड़ल्ले से चल रहा है। शासन और प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद यह कारोबार खुलेआम जारी है। इन गतिविधियों से न केवल राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और भू-खदानों की खुदाई से जलस्तर गिरता जा रहा है, जिससे भविष्य में जल संकट की गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
स्थानीय प्रशासन पर उठ रहे सवाल
सूत्रों के अनुसार, संबंधित क्षेत्रों में हल्का पटवारी समेत राजस्व और खनिज विभाग के अधिकारियों को इन अवैध गतिविधियों की पूरी जानकारी होती है, बावजूद इसके कोई ठोस रोकथाम नहीं की जाती। शिकायत मिलने पर प्रशासन केवल औपचारिकता निभाते हुए एक-दो व्यापारियों पर कार्रवाई करता है, जिसमें केवल जुर्माना लगाकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। यहां तक कि जब्त की गई ईंटें और लकड़ी भी वापस उन्हें सौंप दी जाती हैं, जो फिर बाजार में ऊंचे दामों पर बेची जाती हैं।
प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी, सख्त कानून की मांग
राजस्व विभाग की इस कार्रवाई से यह बात एक बार फिर सामने आई है कि अवैध कारोबारियों को प्रशासनिक मिलीभगत या लापरवाही के कारण बढ़ावा मिल रहा है। इन कारोबारियों की गतिविधियों को केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि पर्यावरण के खिलाफ अपराध माना जाना चाहिए। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ऐसे मामलों में सिर्फ जुर्माना नहीं, बल्कि सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए — जिसमें आवश्यक हो तो जेल भेजने तक का प्रावधान किया जाए।
एसडीएम का सख्त संदेश
डोंगरगढ़ के एसडीएम अभिषेक तिवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अवैध ईंट भट्टों और प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानून के तहत जो भी अधिकतम दंड संभव होगा, वह दिया जाएगा।