महासमुंद: जिले के शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का एक और मामला सामने आया है जंहा स्कूली छात्रों को मौत के साये में रह कर पढ़ाई करना पड़ रहा है। शिक्षा व्यवस्था बदहाली के कारण गांव के लोगों को सामुदायिक भवन में पढ़ने की व्यवस्था करना पड़ रहा है।
जर्जर स्कूल भवन में बच्चे पढ़ने को मजबूर:
शासकीय प्राथमिक शाला खमतराई के अति जर्जर स्कूल भवन में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। बात यदि जिले की करें तो जिले में 45 अति जर्जर स्कूल भवन अभी मौजूद है। जिले में 1276 प्राथमिक स्कूल, 492 मिडिल स्कूल और हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या 188 है। कुल मिलाकर जिले में 1956 स्कूल है। जिनमें से 374 स्कूल भवन जर्जर अति जर्जर एवं मरम्मत योग्य है। इसमें से 45 स्कूल जर्जर स्थिति में है। आपको बता दें कि 3 वर्षों से अति जर्जर होने के बावजूद भी बच्चों को उसी भवन में पढ़ाया जाना। पूरे शिक्षक सिस्टम पर एक प्रश्न चिन्ह लगता है। बाहर ग्रामीण अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए स्वयं आगे आते हुए सामुदायिक भवन को पढ़ने के लिए दे रहे हैं। लेकिन उसमें भी एक बड़ी समस्या यह है कि बच्चों का मध्यान्ह भोजन आखिर कहां बनाया जाएगा और बच्चे शौचालय कहां जाएंगे।
बारिश होने पर छतों से टपकता है पानी:
छात्र राहुल पटेल ने बताया है कि स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है। बारिश में ऊपर से पानी टपकता है। जिससे छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानी होती है। हम छात्रों को नया भवन चाहिए जिससे आगे की पढ़ाई पूरी कर सके। वहीं मामले में विधायक प्रतिनिधि दिलीप ध्रुव एवं प्रधान पाठक शोभाराम साहू ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से आलाधिकारी को लिखित में जानकारी दे रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है। एक हफ्ते बाद गांव के सामूहिक भवन में बच्चों की पढ़ाई कराने की व्यवस्था की जाएगी।
प्राथमिक स्कूल की हालत जर्जर:
शासकीय प्राथमिक शाला खमतराई स्कूल भवन अति जर्जर हो चुका है। जिसमें कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। प्रधान पाठक, पालक शाला समिति के पदाधिकारी पिछले तीन साल से नए भवन की मांग कर रहे हैं। लेकिन आज तक नए भवन की स्वीकृति नहीं मिली। इस स्कूल में पहली से पांचवी तक के लिए 72 बच्चे पढ़ाई करते हैं। इस स्कूल भवन का निर्माण वर्ष 2003-04 में हुआ था। अब इस भवन के दीवारों में दरारें पड़ चुकी है।