रायपुर: गंभीर आरोपों और स्थानीय कंपनियों के विरोध के बीच प्रदेश में 108 संजीवनी एंबुलेंस सेवा का संचालन करने नयी एजेंसी तय करने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। सीजीएमएससी द्वारा आठ बिंदुओं पर मूल्याकंन कर कैंप नामक कंपनी को ज्यादा नंबरों के साथ अव्वल मानते हुए 16 जून तक दावा-आपत्ति मांगी गई है।
108 सेवा पर विवाद:
आरोप लगाया गया है कि स्थानीय और पुरानी कंपनियों को मूल्याकंन कर नंबर देने के मामले में जान बूझकर कंजूसी की गई है। गंभीर मरीजों को त्वरित रूप से उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए राज्य शासन द्वारा 108 संजीवनी सेवा का संचालन किया जाता है। इस एंबुलेंस सेवा की स्टीयरिंग अभी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस के पास है, जिसकी कार्य अवधि समाप्त होने के बाद विभागीय स्तर पर नयी एजेंसी तय करने की प्रक्रिया सीजीएमएससी के माध्यम से पूरी की जा रही है। नयी एजेंसी तय करने की प्रक्रिया और उसके लिए बनाए गए नियमों को जानबूझकर जटिल बनाने के आरोप लगते रहे हैं। इस बीच दवा कार्पोरेशन की टेक्निकल टीम नयी एजेंसी तय करने दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी करने में लगी हुई है। इस प्रक्रिया के बीच एजेंसी तय करने मूल्याकंन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
अंक विवाद का आरोप:
सथानीय ठेका एजेंसी से जुड़े लोगों का आरोप है कि मूल्यांकन के दौरान कैंप को करीब 92 अंक प्रदान किए हैं, जबकि ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विस को 87 से अधिक अंक प्रदान किया गया है। वर्तमान में इस योजना का संचालन करने वाली जेएईएस को केवल 80 अंक दिया गया है। आरोप लगाया गया है कि कैंप नामक संस्थान को एंबुलेंस सेवा के संचालन में सबसे ज्यादा अनुभवी मानते हुए सबसे ज्यादा नंबर दिया गया है।
कई गंभीर आरोपों से घिरी कंपनी:
वर्तमान में कैंप राज्य में 102 महतारी सेवा का संचालन करती है। इसके अलावा उसके पास 1099 मुक्ताजंली शव वाहन का संचालन करने की जिम्मेदारी भी है। निशुल्क शव ले जाने वाली इस योजना में फर्जी बिलिंग, बिना कार्य के भुगतान और सेवा में व्यापक भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं।
विशेष संस्था को लाभदेने का आरोप:
दावा किया जा रहा है कि इस टेंडर से कई संस्थाओं ने जानबूझकर खुद अलग रखा था। इसकी वजह निविदा दस्तावेज की शर्तें और मूल्यांकन मानदंड इतने भ्रामक और असामान्य थे कि उनके माध्यम से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा संभव ही नहीं थी। आरोप यह भी था कि कंपनी विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए इसे विशेष रूप से तैयार किया है।
जांच की उठ रही मांग:
दावा-आपत्ति के दौरान इस टेंडर में पूरे मूल्यांकन प्रक्रिया की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने की मांग उठ रही है। इसमें क्यूसीबीएस प्रणाली का दुरुपयोग रोका जाए, मूल्यांकन समिति के कार्यों की पारदर्शी ऑडिट करवाई जाए और निविदा प्रक्रिया को सभी प्रतिभागियों के लिए समान और न्याय संगत बनाया जाए।