रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवि, आयुर्वेदिक चिकित्सक और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक लंबे समय से डॉ. सुरेन्द्र दुबे का उपचार एसीआई रायपुर में चल रहा था। जहां हार्ट अटैक के चलते उनके देहांत हो गया है। इस खबर की सुचना मिलते ही उनके परिवार और करीबियों में शोक की लहर दौड़ गई।
सीएम साय साय सहित दिग्गजों में दी श्रद्धांजलि :
वहीं दूसरी ओर सीएम साय, डिप्टी सीएम विजय शर्मा, मंत्री ओपी चौधरी ने दिवगंत पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को उनके अशोका रत्न स्थित निवास पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की है. इस बीच बड़ी संख्या में लोग यहां पर भी पहुंचे थे. इसके अलावा कवि डॉ. कुमार विश्वास, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गजों ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर श्रद्धांजलि दी है। वहीं कवि डॉ. कुमार विश्वास भी आज हास्य कवि सुरेंद्र दुबे के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। इस कड़ी में कवि कुमार विश्वास सुबह 10:00 बजे अशोका रत्न सुरेंद्र वर्मा के निवास पहुंचेंगे।
साहित्य जगत और श्रोता शोक की लहर :
बतादें कि सुरेंद्र दुबे छत्तीसगढ़ की भाषा संस्कृति को वैश्विक स्तर पर ख्याति दिलाने का काम किया है. साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर वैश्विक स्तर पर परचम लहराया है. छत्तीसगढ़ के लिए ये एक अपूरणीय क्षति है, वहीं
पद्मश्री दुबे के निधन से साहित्य जगत और श्रोता शोक में हैं.
हास्य कविताओं के जरिए बनाई पहचान:
डॉ. दुबे की कविताएं न केवल लोगों को हंसाती थीं, बल्कि समाज की गहरी सच्चाइयों को व्यंग्य के माध्यम से समझाने का काम भी करती थीं। उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी हिंदी कवि सम्मेलनों में अपनी कला का लोहा मनवाया। उनकी मौजूदगी किसी भी साहित्यिक मंच की शान होती थी। और डॉ. सुरेन्द्र दुबे केवल एक हास्य कवि ही नहीं बल्कि एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। उनका जन्म 8 अगस्त 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले (तत्कालीन दुर्ग) में हुआ था। पेशे से वे आयुर्वेदाचार्य थे, लेकिन उनकी असली पहचान हास्य कविताओं के जरिए देश और विदेश में मिली।
मंचीय कविता को दिलाई थी नई पहचान:
जानकारी के अनुसार, डॉ. दुबे को अचानक हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन से छत्तीसगढ़ सहित पूरे साहित्य जगत में शोक की लहर है।डॉ. सुरेंद्र दुबे अपने विशिष्ट हास्य व्यंग्य शैली के लिए देशभर में लोकप्रिय थे और उन्होंने मंचीय कविता को एक नई पहचान दिलाई थी।
इस साल मिला था पद्मश्री सम्मान :
जिससे उन्हें साल 2010 में साहित्य और हास्य के क्षेत्र में योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा। इसके अलावा, 2008 में उन्हें काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साहित्यिक यात्रा में उन्होंने हास्य, व्यंग्य और जीवन के रंगों से भरी पांच उल्लेखनीय पुस्तकें लिखीं, जो आज भी पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।