Madvi Hidma Criminal Profile: छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा से बड़ी खबर सामने आई है। सुरक्षा बलों ने भीषण ऑपरेशन में देश के सबसे वांछित नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा को मार गिराया है। हिड़मा की पत्नी और कई अन्य माओवादी भी इस एनकाउंटर में ढेर हुए हैं। बस्तर आईजी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की है।
हमलों का रहा मास्टरमाइंड
दुबले-पतले शरीर और शांत स्वभाव का हिड़मा परछाईं बनकर चलने वाला ऐसा नक्सली कमांडर था, जिसने देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों की रणनीति तैयार की। वह झीरम घाटी हमला, 2010 का दंतेवाड़ा नरसंहार, बुरकापाल हमला और बीजापुर हमला जैसे खौफनाक हमलों का मास्टरमाइंड रहा।
था 1 करोड़ का इनाम
45 लाख के इनामी हिड़मा पर कई राज्यों की ओर से कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनाम घोषित था। वह CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सदस्य और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का टॉप लीडर था। हिड़मा PLGA की बटालियन नंबर-1 का कमांडर भी था और 25 से ज्यादा घातक हमलों का आरोपी था।
कैसे हुआ एनकाउंटर?
इंटेलिजेंस इनपुट्स के आधार पर सुरक्षा बलों ने आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़–ओडिशा बॉर्डर पर बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। मंगलवार की सुबह अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेदुमिल्ली जंगल में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। बताया जा रहा है कि सुरक्षाबलों को हिड़मा के मोबाइल फोन की लोकेशन मिली थी। सुबह करीब 6 से 7 बजे के बीच हुई फायरिंग में हिड़मा, उसकी पत्नी और चार अन्य माओवादी मारे गए। कॉम्बिंग ऑपरेशन अभी भी जारी है। DGP हरीश कुमार गुप्ता हालात पर नजर रखे हुए हैं।
हिड़मा का क्रिमिनल बायोडाटा
दंतेवाड़ा 2010 हमला: 76 जवान शहीद
झीरम घाटी हमला 2013: 33 लोगों की मौत, कई कांग्रेस नेता मारे गए
बुरकापाल हमला 2017: 24 जवान शहीद
बीजापुर हमला 2021: 22 जवान शहीद
25+ बड़े हमलों का मास्टरमाइंड
PLGA बटालियन 1 का कमांडर
17 साल की उम्र में बना नक्सली
सुकमा का रहने वाला है हिड़मा
हिड़मा छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का रहने वाला था। 17 वर्ष की उम्र में वह नक्सली संगठन से जुड़ गया था। किसान परिवार में पला-बढ़ा हिड़मा पहले खेती किया करता था। उसे हिडमन्ना, हिडमालु और संतोष नामों से भी जाना जाता था।
जानता था हिंदी और अंग्रेजी भाषा
हिड़मा ने 7वीं तक पढ़ाई की थी। नक्सली संगठन में शामिल होने के बाद उसने हिंदी सीखी, फिर माओवादी संगठन से जुड़े एक लेक्चरर से अंग्रेजी भी सीख ली थी। वह गोंडी, तेलुगु, कोया और बंगाली भाषाओं में भी दक्ष था।