बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल जेल में हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कई निर्देश जारी किए।
हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट, वकील ने जताई जेल में खराब हालत की शिकायत
चैतन्य बघेल की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि उन्हें जेल में तेज बुखार है और स्वच्छ पानी की सुविधा भी नहीं मिल रही। इस पर अदालत ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे इन आरोपों की जांच करें और जेल मैनुअल के अनुसार सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
साथ ही, हाईकोर्ट ने चैतन्य बघेल के वकील को निचली अदालत में आवेदन दायर करने की सलाह दी और ईडी को 26 अगस्त तक अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने भूपेश बघेल की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
इस बीच, इसी मामले में भूपेश बघेल द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विचार करने से इनकार कर दिया। बघेल ने पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 44 के तहत ईडी को पूरक आरोप पत्र दाखिल करने के अधिकार को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि दोष कानून में नहीं, बल्कि उसके दुरुपयोग में है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कोई सबूत नष्ट नहीं किया जा रहा हो, तब तक सत्य की खोज के लिए जांच एजेंसी के कार्य पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
हाईकोर्ट जाने की सलाह
हालांकि, शीर्ष अदालत ने भूपेश बघेल को यह विकल्प दिया कि यदि उन्हें लगता है कि छत्तीसगढ़ में ईडी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के 2022 के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे, तो वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने ईडी की ओर से पक्ष रखा। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि 1973 में दंड प्रक्रिया संहिता में अंतरिम रिपोर्ट और पूरक आरोप पत्र की प्रक्रिया को विशेष रूप से जोड़ा गया था।