मणिपुर: हिंसा प्रभावित मणिपुर में राजनीतिक गतिविधियां एक बार फिर तेज हो गई हैं। राज्य में राष्ट्रपति शासन के बीच नई सरकार के गठन की कवायद तेज होती दिख रही है। इसी क्रम में एनडीए गठबंधन के 10 विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार सुबह मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से राजभवन में मुलाकात की। करीब एक घंटे चली इस मुलाकात के बाद बीजेपी विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने दावा किया कि 44 विधायक नई सरकार बनाने के लिए समर्थन दे रहे हैं।
राज्यपाल से मिलने वाले विधायकों में बीजेपी के पांच, एनपीपी के दो, एक निर्दलीय और अन्य सहयोगी विधायक शामिल थे। इनमें नौ विधायक मैतेई बहुल घाटी क्षेत्र से और एक नागा समुदाय से हैं। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को 44 विधायकों के समर्थन वाला दस्तावेज सौंपा।
15 जून तक नई सरकार बनने की उम्मीद
राजभवन से बाहर निकलने के बाद एक विधायक ने मीडिया को बताया, “हमने राज्यपाल को सूचित किया कि एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है और हम राज्य में नई सरकार का गठन करना चाहते हैं। हमें विश्वास है कि 15 जून तक मणिपुर को एक नई सरकार मिल जाएगी।”
राज्यपाल के खिलाफ मैतेई संगठनों का विरोध जारी
इस बीच राज्यपाल अजय कुमार भल्ला के खिलाफ मैतेई संगठनों का आंदोलन भी लगातार जारी है। संगठनों की मांग है कि राज्यपाल हाल ही की एक विवादास्पद घटना पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। मामला उस समय भड़का जब उखरुल में शिरुई लिली महोत्सव को कवर करने जा रहे पत्रकारों की सरकारी बस से ‘मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट’ में से ‘मणिपुर’ शब्द कथित रूप से ढक दिया गया। इस घटना को मैतेई समुदाय ने अपनी पहचान और गौरव के अपमान के रूप में देखा।
पहले भी उठ चुकी है सरकार गठन की मांग
इससे पहले 29 अप्रैल को एनडीए के 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मणिपुर में लोकप्रिय सरकार की बहाली की मांग की थी। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह या उनके समर्थक विधायकों का नाम उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं था।
एक विधायक ने कहा, “13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है, लेकिन राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है। एक निर्वाचित सरकार ही मणिपुर को स्थिरता और सामान्य स्थिति की ओर ले जा सकती है।”