भोपाल। गैस राहत विभाग के सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल कहलाने वाले कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग महिला की बेड से गिरकर मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि महिला जिस बेड पर थीं, वो टूटा हुआ था। उससे उठते समय महिला गिर गई और सिर में चोट लगने से उनकी मौत हो गई। घटना के दौरान वहां न डॉक्टर थे न ही कोई वॉर्ड ब्यॉय। अगर समय पर इलाज मिल जाता तो महिला मरीज की जान बच सकती थी। घटना 22 फरवरी की रात की है।
अस्पताल में लापरवाही की स्थिति यह है कि अब भी उस बेड वार्ड से हटाया नहीं गया है। अब इस बेड पर कोई दूसरा मरीज भर्ती है। जानकारी के मुताबिक, जेपी नगर की रहने वाली 60 वर्षीय जीनत बी को सांस में तकलीफ के चलते 22 फरवरी को कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। जीनत की बेटी शबाना ने बताया कि रात में वहां मां के साथ उनके पिता रुके थे। रात करीब 2 बजे जीनत वॉशरूम जाने के उठी। उठने के लिए उन्होंने जैसे ही साइट रेल का सहारा लिया उसका लॉक खुल गया और वे पलंग से गिर पड़ीं। इस दौरान पिलर से सिर टकराने से उन्हें गंभीर चोट भी आई। इस दौरान मौके पर न डॉक्टर थे न ही कोई वॉर्ड ब्यॉय और नर्स या अन्य स्टाफ।
रात में नहीं लगते टांके
शबाना ने आरोप लगाया कि घटना के समय वार्ड में न कोई डॉक्टर था न ही कोई वार्ड ब्यॉय था। पिता काफी देर तक परेशान होते रहे। करीब आधे घंटे बाद कोई वार्ड ब्यॉय आया तो उसने बताया कि रात में टांके नहीं लगाए जा सकते, इसलिए मरीज को हमीदिया अस्पताल ले जाएं, लेकिन मरीज की स्थिति ऐसी नहीं थी कि उन्हें उठाकर हमीदिया तक ले जाया जा सके। मरीज की बिगड़ती हालत देखकर वार्ड ब्यॉय किसी जूनियर डॉक्टर को लेकर आया। जब तक डॉक्टर आए, तब तक जीनत की मृत्यु हो चुकी थी।
गैस पीड़ित संगठन मामला सामने लाए
मरीज की मौत के बाद परिजन डेड बॉडी घर ले आए। मंगलवार को जब संभावना ट्रस्ट से मरीज का हाल जानने के लिए परिजनों को कॉल किया तो उन्होंने घटना की जानकारी दी। इसके बाद गैस पीड़ित संगठनों ने मामले को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
अधिकारियों को जानकारी नहीं
मामले में गैस राहत विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्हें घटना की जानकारी नहीं थी। विभाग के सीएमओ डॉ. एसएस राजपूत का कहना था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। अस्पताल अधीक्षक ही कुछ बता पाएंगे। वहीं अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय जैन का कहना है कि वे उस दौरान बाहर थे, इसलिए घटना के बारे मे जानकारी नहीं है।