National Sports Awards 2023: भोपाल। मप्र के हॉकी कोच शिवेद सिंह को बीते रोज राष्ट्रपति दोपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार पाने के बाद हरिभूमि से खास बातचीत में शिवेंद्र ने बताया कि वे बेहद खुश है कि कम उम्र में ही उनका सपना पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि वे नए खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं, इसका आधार यह है कि वे खुद भी हॉकी के एक मंझे हुए खिलाड़ी रहे हैं। शिवेंद्र ने बताया कि 2007 में उन्होंने एशियन गेम्स में ब्रांज और 2010 के कॉमन वेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता है।
उन्होंने बताया कि आज उनके सिखाए खिलाड़ी कॉमन वेल्थ गेम्स में खेल रहे हैं और मप्र का नाम रोशन कर रहे हैं। शिवेंद्र ने बताया कि कम उम्र में ही उन्हें यह पुरस्कार मिला है, इसलिए वे अभी यहीं नहीं रुकेंगे और आगे
10 साल की उम्र में पकड़ी थी स्टिक
1983 में जन्में शिवेंद्र बताते हैं कि पहली बार उन्होंने 10 साल की उम्र में स्टिक पकड़ी थी और इसके बाद वे नहीं रुके और आगे ही बढ़ते गए। उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई भी हॉकी खिलाड़ी हैं, जिसको देखकर उसने भी हॉकी खेलना शुरू कर दिया। साल 2006 में जब पहली बार भारतीय टीम में चयन हुआ, तब सोचा शायद ओलंपिक खेलने का सपना पूरा हो सकता है। उसके बाद अपने सपनों को पूरा करते हुए अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्लेयर शिवेंद्र सिंह दो बार ओलंपिक खेल चुके है और कई अंतरराष्ट्रीय खिताब और मेडल अपने नाम कर चुके हैं।
बेटियों की मर्जी-वे प्लेयर बनें या कुछ और
मूलतः ग्वालियर के तानसेन नगर के रहने वाले 40 वर्षीय शिवेंद्र ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं जिनमें एक की उम्र 5 वर्ष एवं दूसरी की उम्र 3.5 वर्ष है। बेटियों को हॉकी सिखाने के बारे में शिवेंद्र कहते है कि यदि उनकी बेटियों की मर्जी होगी तो वे उन्हें अवश्य सिखाएंगे और हॉकी का बेहतरीन प्लेयर बनाएंगे।