रायपुर: छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में सावन से पहले झमाझम-झड़ी शुरू हो गई है. दरअसल राजधानी रायपुर में देर रात से झमाझम बारिश हो रही है. एक हफ्ते से मौसम शुष्क बना हुआ है. वहीं पीछे दो दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है. मौसम विभाग के मुताबिक आज बस्तर संभाग, दुर्ग और रायपुर संभाग के जिलों में भारी वर्षा की संभावना है.
आषाढ़ के महीने में सावन का अहसास:
बता दें कि काफी इंतजार के बाद सक्रिय हुए मानसून ने आषाढ़ के महीने में सावन का अहसास करा दिया। रायपुर समेत मौसम विभाग के 246 स्टेशनों में झमाझम बारिश दर्ज की गई। चौबीस घंटे में 100 मिमी. बारिश होने से संकट दूर हो गया और रायपुर जिला सामान्य स्थिति में आ गया। यहां रात से शुरू हुई बारिश का दौर सोमवार को दिनभर चलता रहा। सर्वाधिक असर राजधानी में हुआ। बारिश के प्रभाव से मंगलवार को भी जनजीवन प्रभावित रहने के आसार है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश कोरबा के पाली में 260 मिमी. दर्ज की गई है।
प्रथम सप्ताह में अपना जोरदार असर:
अपने सामान्य दिनों में रायपुर तक पहुंचे मानसून ने जुलाई के प्रथम सप्ताह में अपना जोरदार असर दिखाया है। सप्ताभर से छाए बादल पिछले तीन दिन से लगातार बरस रहे हैं। रवि-सोमवार को इसका व्यापक असर रायपुर समेत मध्य इलाके में हुआ और यहां कई हिस्सों में भारी वर्षा दर्ज की गई। रविवार की स्थिति में रायपुर 34 फीसदी कम बारिश के साथ संकट की स्थिति में था, मगर इसके बाद सक्रिय मानसून ने ऐसा असर दिखाया कि 100 मिमी. वर्षा से रायपुर अपनी सामान्य स्थिति में आ गया है। थोड़े अंतराल के बाद लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। रायपुर समेत मध्य इलाके के साथ सरगुजा और बिलासपुर संभाग के शहर भी भारी बरसात से प्रभावित रहे। मौसम विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों का अनुमान है कि मंगलवार को अधिकतर स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने का अनुमान है। वहीं भारी वर्षा की स्थिति बस्तर संभाग के उत्तरी जिले और उससे लगे दुर्ग और रायपुर संभाग के जिले संभावित हैं।
बारिश की गतिविधि में कमी:
मौसम विभाग के अनुसार बुधवार 9 जुलाई से बारिश की गतिविधि में कमी आने की संभावना है। अभी एक निम्न दाब का क्षेत्र दक्षिण पश्चिम गंगेटिक पश्चिम बंगाल और उसके आसपास स्थित है। इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके पश्चिम उत्तर पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए झारखंड, उत्तर छत्तीसगढ़ पहुंचने की संभावना है। एक ढोणिका दक्षिण राजस्थान से दक्षिण पश्चिम गंगेटिक पश्चिम बंगाल के ऊपर स्थित निम्न दाब के केंद्र तक मध्य प्रदेश, उत्तर छत्तीसगढ़, दक्षिण झारखंड होते हुए विस्तारित है।