Fake Mawa : शरद पूर्णिमा के मौके पर भगवान विष्णु को मावा से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का त्योहार है। ऐसे में अगर आप बाजार से मावा लेकर आ रहे है तो आपको सावधान रहने की जरूर है। क्योंकि बाजार में मावा की बढ़ती डिमांड के चलते नकली मावा आ गया है। मावा की खपत पूरी करने के लिए मिलावटखोर सक्रिय हो गए है।
ऐसे होती है मिलावट
बताया जा रहा है कि नकली मावा बनाने के लिए दूधा में कई पाउडर मिलाए जाते है। जैसे कि सफेद केमिकल्सए, यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, वनस्पति घी, वॉशिंग पाउडरए, रिफाइंड तेल मिलाया जाता है। मिलावटखोर एक लीटर शुद्ध दूध से 20 लीटर सिंथेटिक दूध बनकर उससे मावा तैयार करते है। नकली मावे में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, मैदा या आलू भी मिलाया जाता है।
ऐसे करे नकली असली की पहचान
नकली मावा और असली मावा की पहचान करने के कई तरीके है। जैसे मावा अगर मुलायम है तो मावा असली है। और अगर मावा दरदरा है तो मावा नकली है। नकली मावा खाने पर मुंह में चिपकता है, लेकिन असली मावा नहीं चिपकता। अगर मावा की गोलियां बनाने के दौरान वे फटने लगे तो समझो मावा नकली है। अगर मावा को हाथों से रगड़ने पर घी निकले या फिर धी की सुगंध आए तो मावा असली है।