रिपोर्टर - जीवानंद हलधर
जगदलपुर। बस्तर जिसका नाम जेहन में आते ही कुछ भयावह तस्वीरें सामने आ जाती है लेकिन अब बस्तर धीरे धीरे बदल रहा है इस बस्तर को करीब निहारने देश विदेश हर साल बस्तर पहुंचते हैं। अब इस बस्तर मे अपनी ख्याति विश्व स्तर में बना ली है। जी हां साल वनों का द्वीप कहे जाने वाले बस्तर विश्व के मानचित्र छाया हुआ है। यूएन में विश्व के 60 टूरिज्म क्षेत्र में बस्तर जिले के धूड़मारस को भी शानदर पर्यटन के रूप में सलेक्ट किया है।
इस मनमोहक स्थल को बेहतर टूरिज्म का स्पॉट माना है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आने वाला गॉव धूड़मारस के स्थानीय ग्रामीणों की आय को बढ़ाने और क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जिला प्रशासन ने बाम्बू राफ्टिंग और कायकिंग की शुरुआत की थी और धीरे धीरे इस पर्यटन स्थल की जानकारी मिलने के बाद बाहर के पर्यटकों का भी आना शुरू हुआ और अब इस क्षेत्र को यूएन ने बेस्ट पर्यटन क्षेत्र घोषित कर दिया है।
यंहा आने वाले पर्यटक काफी खुश होकर बाम्बू राफ्टिंग और कायकिंग का मजा ले रहे हैं वंही आने वाले पर्यटकों कहना है कि यह जगह काफी सुन्दर है और इस इलाके का विकास किया जाना चाहिए साथ ही सुरक्षा के लिये व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि बाहर से आने वाले पर्यटक अपने परिवार के साथ इंजॉय कर सके। धूड़मारास में बने होम स्टे भी काफी अदभुत बनाये गए हैं और बाहर से आने वाले पर्यटक यंहा रुक कर बस्तरिया भोजन का स्वाद लेते हैं.
धूड़मारास गाँव में पहुँचने वाले पर्यटकों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इस पर्यटन क्षेत्र को लेकर बस्तर कलेक्टर ने बताया कि इलाके को और विकसित करने के लिए जल्द ही प्रदेश सरकार के अधिकारियों की टीम के साथ यूएन के सदस्यो का भी दौरा होने वाला है ताकि इस क्षेत्र को और विकसित किया जा सके. बहरहाल आदिवासी बाहुल्य बस्तर की पहचान अब पर्यटन के रूप में बनती जा रही है. बस्तर में जहां चित्रकोट जलप्रपात है तो तीरथगढ़ भी काफी प्रचलित हो चूका है और अब यूएन ने धूड़मारास को विश्व के मानचित्र के लाकर बस्तर के नाम और भी प्रसिद्ध हो गया है।