राजा शर्मा // डोंगरगढ़ | प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल मंगलवार को अपने एक दिवसीय प्रवास पर डोंगरगढ़ पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस द्वारा आयोजित विधानसभा स्तरीय "संविधान बचाओ रैली" में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत राजकीय गीत से की गई, जिसमें जिले के कांग्रेस विधायकगण और जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष नवाज खान समेत कई पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे।
भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप:
सभा को संबोधित करते हुए भूपेश बघेल ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि, “बीजेपी सरकार किसानों और आम जनता को केवल बेवकूफ बनाने का काम कर रही है। केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। महतारी वंदन योजना के नाम पर सालाना ₹12,000 देकर लोगों को बहकाया गया, जबकि पहले मनरेगा में 70 दिनों का कार्य कर ग्रामीणों को ₹36,000 तक मिलता था।”
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ अडानी और अंबानी को बचाने में लगे हैं, जबकि जनता की आवाज को दबाया जा रहा है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां भी दबाव में काम कर रही हैं, जिससे देश की सुरक्षा और लोकतंत्र खतरे में है।”
“संविधान खतरे में है”:
बघेल ने कहा कि “आज मां बमलेश्वरी के पावन धाम में बैठकर हम संविधान बचाओ सभा का आयोजन कर रहे हैं। आज वही संविधान, जो हमें अधिकार संपन्न बनाता है, खतरे में है।” उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं और जनपदों में विपक्ष की बात नहीं सुनी जा रही है और उन्हें विकास कार्यों के लिए राशि आवंटित नहीं की जा रही।
“लोकतंत्र हो रहा कमजोर”:
मीडिया से बात करते हुए भूपेश बघेल ने कहा, “आज न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग पर भी दबाव है। आम जनता के अधिकारों में लगातार कटौती हो रही है और केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी द्वारा किया जा रहा है। इससे देश का लोकतंत्र निश्चित रूप से कमजोर हो रहा है। कांग्रेस इसका विरोध जिला, विधानसभा और गांव-गांव जाकर कर रही है।”
मोदी सरकार के 11 साल पर भी साधा निशाना:
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के 11 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ऐसे में जनता को चाहिए कि वह यह समीक्षा करे कि इन वर्षों में क्या मिला।
शौचालय बनाए गए, लेकिन उपयोग नहीं हो रहे।
नल-जल योजना शुरू हुई, लेकिन घरों में पानी नहीं है, नल सूखे पड़े हैं।
नोटबंदी के दौरान काला धन लाने का दावा किया गया, लेकिन नतीजा शून्य रहा।
GST से व्यापारी परेशान हैं और आम जनता महंगाई से त्रस्त है।
नौकरी के नाम पर सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है।