MP Politics : मध्यप्रदेश कांग्रेस इन दिनों प्रदेश में पार्टी को फिर से नया आयाम और उभारने का प्रयास कर रही है। बीते विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद दिल्ली आलाकमान ने प्रदेश संगठन में बदलाव किया था। जिसके बाद संगठन में भी कई बदलाव किए गए। हाल ही में कांग्रेस सूत्रों से नई जानकारी मिली है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस एआईसीसी की टीम में कुछ नए युवा चेहरों को शामिल करने का विचार बना रही है।
राहुल की टीम में अरूण-जेवी?
सूत्रों की माने तो एआईसीसी की टीम में प्रदेश से दो नेताओं को जगह दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी एआईसीसी की टीम में युवाओं को मौका देना चाहते है। जिसके चलते दिग्विजय सिंह पुत्र जयवर्धन सिंह और दूसरा स्व. सुभाष यादव पुत्र अरूण यादव को शामिल किया जा सकता है। दोनों को एआईसीसी की टीम में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। जयवर्धन सिंह बीते कई महीनों से संगठन में एक्टिव है, उन्हें विजयपुर उपचुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी जिसे उन्होंने बखूवी निभाई और कांग्रेस प्रत्याशी को जीत भी दिलाई। वही अरूण यादव भले ही लगातार चुनाव हर गए हो, लेकिन वे सोशल मीडिया से लेकर संगठन में लगातार एक्टिव है। हालांकि दोनों को जिम्मेदारी मिलेगी या नहीं यह तो अटकलें है।
अरूण को क्यों जिम्मेदारी?
अरूण यादव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री है। भले ही वे लगातार चुनाव हार चुके हो, लेकिन वे संगठन में बीते लंबे समय से एक्टिव है। वे यादव वर्ग से आते है, यादव चेहरे को तौर पर उन्हें पार्टी ओबीसी वर्ग यादवों को साधने के लिए एआईसीसी में जगह दे सकती है। वर्तमान में अरूण यादव के छोटे भाई सचिन यादव कांग्रेस से विधायक है।
जयवर्धन को जिम्मेदारी क्यों?
जयवर्धन सिंह प्रदेश कांग्रेस विधायकों में से युवा चेहरे है। वे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पुत्र है। बीते कुछ महीनों से पार्टी में अच्छी खासी तब्बजो दी जा रही है। वे लगातार तीन बार के विधायक है। सबसे बड़ी बात जयवर्धन सिंह चंबल की सियासत में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है। पार्टी जयवर्धन को महाराज सिंधिया के विरूध प्रोजेक्ट कर सकती है।
जेवी, सिंधिया की काट क्यों?
दरसअल, दोनों नेता राजपरिवार से भी है। दोनों का चंबल की राजनीति में प्रभाव भी अच्छा माना जाता है। चंबल कांग्रेस की राजनीति से सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस के पास जयर्वधन के अलावा कोई दूसरा नेता भी नहीं है। ग्वालियर चंबल की राजनीति में सिंधिया की धमक लगातार बढ़ती जा रही है। वे खुद मोदी सरकार में केंन्द्रीय मंत्री है। उनके समर्थक मोहन सरकार में मंत्री है। इतना ही नहीं हाल ही में जिलाध्यक्ष चुनाव में उनकी चली। ऐसे में कांग्रेस जयवर्धन पर दांव खेल सकती है।