MP Youth Congress Election : मध्य प्रदेश में युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कुल 23 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की है। दिलचस्प बात यह है कि इन दावेदारों में कई ऐसे नाम शामिल हैं, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के परिवार से आते हैं। हालांकि, अभी चुनाव प्रक्रिया बाकी है, जिसके बाद ही नया प्रदेश अध्यक्ष तय होगा।
नेताओं का होगा इंटरव्यू
नामांकन के बाद अब यह प्रक्रिया मतदान और इंटरव्यू के जरिये आगे बढ़ेगी। 22 मई तक उम्मीदवारों के खिलाफ दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती थीं, लेकिन इस अवधि में कोई आपत्ति सामने नहीं आई। अब सदस्यता अभियान और वोटिंग का चरण शुरू होगा, जो लगभग एक महीने तक चलेगा। इसमें सबसे अधिक वोट पाने वाले तीन प्रत्याशी चयनित होंगे, जिन्हें युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भान, और मध्य प्रदेश प्रभारी की मौजूदगी में इंटरव्यू से गुजरना होगा। इसके बाद ही अंतिम चयन किया जाएगा।
कमलनाथ का करीबी कौन?
युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक लखन घनघोरिया के बेटे यश घनघोरिया का नाम सबसे आगे माना जा रहा है। लखन घनघोरिया, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं और उनकी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि यश को समर्थन दिलाने के लिए उनके पिता ने चंबल और विंध्य क्षेत्रों में सीनियर नेताओं से मुलाकातें भी की हैं। यश अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं, और ऐसे में उनके चयन को पार्टी के जातीय संतुलन के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। वर्तमान में कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग से जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष और आदिवासी समुदाय से उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। ऐसे में यदि यश को युवा कांग्रेस की कमान मिलती है, तो यह सामाजिक संतुलन की रणनीति का हिस्सा माना जाएगा।
रेस में ये भी नाम
भोपाल के अभिषेक परमार और ग्वालियर के एनएसयूआई नेता शिवराज यादव के नाम भी चर्चा में हैं। इन दोनों नेताओं ने भी जोर-शोर से लॉबिंग शुरू कर दी है। वहीं कुछ अन्य युवा नेताओं ने भी संगठन के भीतर समर्थन जुटाने की कवायद शुरू कर दी है, जिससे यह मुकाबला और रोचक हो गया है।
फिलहाल कार्यवाहक अध्यक्ष मितेंद्र सिंह
इस समय मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस की जिम्मेदारी मितेंद्र दर्शन सिंह निभा रहे हैं। उन्हें विक्रांत भूरिया के इस्तीफे के बाद यह पद सौंपा गया था। भूरिया अब कांग्रेस के आदिवासी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और विधायक के तौर पर सक्रिय हैं। अब देखना होगा कि युवाओं की इस दौड़ में कौन बाज़ी मारता है और प्रदेश की युवा कांग्रेस को नई दिशा देने की जिम्मेदारी किसे मिलती है।