Rakshabandhan Muhurat : भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन 95 साल बाद शोभन योग सर्वार्थ सिद्धि योग श्रवण नक्षत्र पूर्णिमा संयोग में श्रद्धा और उमंग से मनाया जाएगा। मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि 95 सालों बाद शोभन योग सर्वार्थ सिद्धि योग श्रवण नक्षत्र पूर्णिमा संयोग बन रहा है।
भद्रा का साया नही
इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। राखी के मौके पर सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त हो जाएगी, लेकिन इस बार राहुकाल का साया रहेगा। भद्रा की तरह राहु काल में भी राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस दौरान बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधने से बचना चाहिए। इस बार सावन की पूर्णिमा 8 अगस्त को दोपहर को लगेगी और 9 अगस्त के दिन में करीब 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि होने की वजह से 9 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।
क्या है शुभ मुहूर्त?
वैसे तो राखी बांधने का शुभ मुहूर्त इस बार सुबह 5 बजकर 47 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसी शुभ मुहूर्त में 1 घंटे 40 मिनट के लिए राहु काल भी रहेगा। सुबह 9 बजकर 7 मिनट से लेकर 10 बजकर रहेगा। इस दौरान राखी बांधना उचित नहीं रहेगा।
पाताल लोक में होगा भद्रा का वास
9 अगस्त को चंद्रमा का गोचर मकर राशि में रहेगा। ऐसे में भद्रा का वास पाताल लोक में होगा और भद्रा का मुख अधोमुखी होगा,यानी नीचे की तरफ होगा। ऐसे में 9 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व भद्रा रहित होने से कारण सुबह से ही मनाना शुभ रहेगा। जब भी भद्रा का वास धरती लोक पर होता है तो उस समय कोई भी शुभ कार्य करना हो तो वह भद्रा रहित काल में ही करना चाहिए। वरना व्यक्ति को शुभ फल नहीं मिल पाता है। हालांकि, इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का वास नहीं है तो आप आसानी से त्योहार मना सकते हैं।
1930 जैसा बन रहा अद्भुत संयोग
मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर 1930 जैसा ही अद्भुत संयोग बन रहा है। 9 अगस्त को रक्षाबंधन शनिवार को ही पड़ रहा है, जैसे उस वर्ष पड़ा था। उस समय भी भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हुई थी और इस बार भी ठीक वैसा ही हो रहा है। पूर्णिमा तिथि भी 8 अगस्त को मात्र 5 मिनट के अंतर से शुरू हो रही है।