नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले बयान ने देश की सियासत को गरमा दिया है। गुरुवार को बेंगलुरु में 'वोट अधिकार रैली' को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक समेत छह राज्यों में एक लाख से ज्यादा वोट चोरी हुए हैं। अब चुनाव आयोग ने शुक्रवार, 8 अगस्त को इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए राहुल गांधी से औपचारिक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने या देश से माफी मांगने को कहा है।
घोषणा-पत्र या माफी: चुनाव आयोग का दो टूक जवाब
चुनाव आयोग ने कहा कि यदि राहुल गांधी को अपने दावों पर भरोसा है, तो उन्हें डिक्लेरेशन फॉर्म पर हस्ताक्षर करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो यह माना जाएगा कि उनके आरोप झूठे और भ्रामक हैं। आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि राहुल के पास दो ही विकल्प हैं—या तो घोषणा-पत्र पर दस्तखत करें या देश से सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
राहुल गांधी का आरोप: "भाजपा के साथ मिलीभगत"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव आयोग और भाजपा ने मिलकर वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़ें हैं। उन्होंने कर्नाटक के एक विधानसभा क्षेत्र का हवाला देते हुए कहा कि वहां 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोट दर्ज किए गए हैं। इसके लिए उन्होंने एक विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया, जिसमें कई राज्यों की वोटर लिस्ट में अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया।
6 राज्यों में धांधली का आरोप
राहुल गांधी ने सिर्फ कर्नाटक ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों में चुनावी गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र में सरकार केवल 25 सीटों के सहारे बनी है और 23 ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस बहुत कम वोटों से हारी। अगर हमें वास्तविक डेटा मिल जाता, तो हम पुख्ता सबूत पेश कर सकते थे।
डेटा की मांग और ECI पर भरोसे की कमी
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब उन्होंने इन 23 सीटों का डेटा चुनाव आयोग से मांगा, तो आयोग ने इनकार कर दिया। उनका कहना है कि चुनाव आयोग भाजपा की मदद कर रहा है और इसीलिए मशीन-रीडेबल वोटर डेटा को साझा नहीं कर रहा।
राहुल गांधी के चुनाव आयोग से 5 सवाल
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से पांच सीधे सवाल पूछे हैं:
विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही है?
CCTV फुटेज और वीडियो सबूत क्यों मिटाए जा रहे हैं?
वोटर लिस्ट में फर्जी नाम और डुप्लिकेशन क्यों है?
विपक्षी नेताओं को डराया और धमकाया क्यों जा रहा है?
क्या अब ECI भाजपा का एजेंट बन चुका है?