MP Congress Jila Adhyaksh : अहमदाबाद में हुए दो दिवसीय अधिवेशन के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस नए सिरे से जिलों में संगठन की जमावट में जुट गई है। पार्टी अब जिलाध्यक्षों के कार्यकाल का बारीकी से अध्ययन कर रही है। इसी आधार पर जिलाध्यक्षों का भविष्य तय होगा। पार्टी सूत्रों की माने तो एक दर्जन जिलाध्यक्षों को छोड़ अन्य सभी का हटना तय माना जा रहा है। कुछ यही स्थिति ब्लॉक अध्यक्षों की भी है। बताया जा रहा है कि जबलपुर में होने वाले अधिवेशन से पहले नई टीम आकार ले लेगी।
युवाओं पर पार्टी का फोकस
दरअसल, लगातार विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार झेल रही कांग्रेस साल 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले मप्र में संगठन को मजबूती देना चाहती है। बदलाव में ऐसे जिलाध्यक्ष हटेंगे, जो कई सालों से पद पर काबिज हैं या जिनके क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश प्रभारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। जिलों का दौरा कर जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के लिए कार्यकर्ताओं से संवाद किया जा रहा है। इस दौरान जिन युवाओं का नाम मजबूती से सामने आ रहा है, उनकी सूची भी तैयार की जा रही है।
जिलाअध्यक्षों को मजबूत करने की कवायद
अधिवेशन में जिलाध्यक्षों के मामले में अहम प्रस्ताव पारित हुआ था। इसके तहत उन्हें पावरफुल बनाया जाना है। यानी जिला स्तर के फैसले इनकी मर्जी से होंगे। चुनाव में उम्मीदवार तय करने में भी भूमिका होगी। प्रस्ताव को संपूर्ण नियमावली के साथ संगठनात्मक ढांचा मजबूत बनाने सभी प्रतिनिधियों के समक्ष रखा जाएगा। ऐसे में जिला स्तर पर बड़े पैमाने पर फेरबदल तय माना जा रहा है।
यह बदलाव भी दिखेगा
जिले के संगठनात्मक स्तर पर कई बदलाव होंगे। ऐसे कार्यकर्ता जो लंबे समय से पार्टी के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं, उन्हें नई और अहम जिमेदारियां दी जाएंगी। युवा, उर्जावान लोगों को अवसर दिया जाएगा। शहर व जिले के लगभग सभी ब्लॉक में नए अध्यक्ष नियुक्त करने की तैयारी है। अप्रैल अंत या मई की शुरुआत में परिवर्तन हो सकता है।
लंबे समय से जमे हैं अध्यक्ष
पार्टी सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर शहर अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा और उज्जैन ग्रामीण अध्यक्ष कमल पटेल के अलावा शहडोल जिलाध्यक्ष सुभाष गुप्ता 2018 से पद पर हैं। सतना के शहर अध्यक्ष मकसूद अहमद लगभग 12 साल से तो ग्रामीण अध्यक्ष दिलीप मिश्रा 10 साल से पद पर हैं। नीमच अध्यक्ष अनिल चौरसिया 7 साल से तो विश्वनाथ ओकटे 4 सालों से पद पर हैं। खंडवा, रायसेन जैसे कई जिलों में जिलाध्यक्ष नहीं हैं।
जिलों से मांगी गई रिपोर्ट
प्रदेश कांग्रेस ने जिलों से रिपोर्ट मांगी है। जिसमें पुरानी कार्यकारिणी के साथ ही नई कार्यकारिणी की जानकारी तलब की गई है। जिले में संगठन द्वारा की गई गतिविधियां, चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन सहित अन्य जानकारी जिलाध्यक्षों को देनी है। यह जानकारी सभी अध्यक्षों को 17 सितम्बर से पहले समन्वय समिति के समक्ष प्रस्तुत करनी है।
45 से 50 साल के होंगे जिला और ब्लॉक अध्यक्ष
कांग्रेस ने नई टीम में युवाओं को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों के लिए उम्र की सीमा तय की गई है। इसके अनुसार 45 से 50 साल के युवाओं को ही अब जिला और ब्लॉक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी। नई टीम के गठन के बाद सभी जिला अध्यक्षों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।