MLA Sanjay Pathak : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने अवैध खनन से जुड़े आशुतोष दीक्षित बनाम आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) केस की सुनवाई से अचानक खुद को अलग कर लिया। जस्टिस मिश्रा ने केस की ऑर्डर शीट में उल्लेख किया कि विधायक संजय पाठक ने उनसे इस मामले पर चर्चा करने के लिए सीधे फोन पर बातचीत की कोशिश की। इसलिए मैं इस केस की सुनवाई करने का इच्छुक नहीं हूं। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मानते हुए केस को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। अब चीफ जस्टिस यह तय करेंगे कि मामला किस बेंच में सुना जाएगा। इसे लेकर हाईकोर्ट के गलियारों में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म रहा।
EOW में शिकायत
याचिकाकर्ता कटनी निवासी आशुतोष दीक्षित की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि उसने बड़े पैमाने पर अवैध खनन की शिकायत ईओडब्ल्यू में दर्ज कराई थी। आरोप था कि निर्धारित समय सीमा के भीतर जांच पूरी नहीं की गई। इसी निष्िक्रयता के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में विधायक संजय पाठक को पक्षकार नहीं बनाया गया था। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान भाजपा विधायक संजय पाठक ने हस्तक्षेप का आवेदन दायर कर अपनी बात रखने की अनुमति मांगी। यहीं से सारा विवाद शुरू हुआ।
EOW की तरफ से शुक्ला ने दी दलीलें
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसआर ताम्रकार और अंकित चोपड़ा पेश हुए, जबकि ईओडब्ल्यू की तरफ से मधुर शुक्ला ने दलीलें दीं। हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अंशुमान सिंह और वासु जैन उपस्थित रहे। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान खास तौर पर हस्तक्षेप आवेदन का उल्लेख किया, जो निर्मला पाठक (पत्नी स्व. सत्येंद्र पाठक) और यश पाठक (पुत्र संजय सत्येंद्र पाठक) द्वारा दाखिल किया गया है।
310 एकड़ जमीन 90 करोड़ में ख्ररीदी
विधायक संजय पाठक पर सहारा ग्रुप की जमीनें औने-पौने दाम पर खरीदने के भी आरोप लगे हैं। शिकायत मिलने के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने पीई दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने 15 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधायक पाठक पर करोड़ों रुपए की गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। यादव ने कहा था कि संजय पाठक ने सहारा ग्रुप की भोपाल, जबलपुर और कटनी में स्थित 310 एकड़ जमीन को 90 करोड़ रुपए में खरीदा, जबकि इन जमीनों का बाजार मूल्य करीब 1 हजार करोड़ रुपए था। यादव ने आरोप लगाया था कि विधायक पाठक ने न केवल जमीनें औने-पौने दामों में खरीदीं बल्कि रजिस्ट्री करवाने में स्टांप ड्यूटी की चोरी भी की गई। विधायक ने रेसीडेंशियल जमीन की रजिस्ट्री एग्रीकल्चर लैंड दिखाकर कराई।