जीवानंद हलधर//जगदलपुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य पर इस बार मौसम का कहर भारी पड़ा है। तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि के कारण तेंदूपत्ता की तोड़ाई गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, जिससे संग्राहकों को लगभग 90 करोड़ रुपये के पारिश्रमिक का नुकसान हो सकता है। बस्तर संभाग के 4 जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम लक्ष्य से पीछे हो गया है। कारण है लगातार हो रहा बारिश और आंधी ने तेंदूपत्ता की तोड़ाई पर पानी फेर दिया है। वहीं संभाग के 101057 संग्राहकों ने अब तक मात्र एक लाख 16 हजार 999 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया है।
वर्ष 2024 में 155 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक दिया गया था:
जबकि वर्ष 2024 में चार जिलों के संग्राहकों को 155 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक दिया गया था। जो रिकार्ड के काफी ऊपर था, लेक़िन इस वर्ष 2 लाख 70 हजार 600 मनाक बोरा का लक्ष्य रखा गया था। जिसमे संभाग के 4 जिले बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर वं सुकमा में अब तक सिर्फ 101057 संग्राहकों ने 92 लाट संख्या में एक लाख 16 हजार 999 मानक बोरा तेंदूपत्ता का ही संग्रहण कर पाए हैं। यानि वर्तमान में 64 लाख 34 हजार 995 रूपए ही पारिश्रमिक दिया जाएगा। और इस वर्ष समय पूर्व ज़ोरदार हुई बारिश आंधी, ओले की वजह से तेंदूपत्ता संग्रहण का काम प्रभावित हो गया है।
संग्राहकों को लगभग 90 करोड़ रूपए कम पारिश्रमिक देने की संभावना:
इस बार लक्ष्य पूरा नहीं होने पर संग्राहकों को लगभग 90 करोड़ रूपए कम पारिश्रमिक देने की संभावना विभाग जता रहा है। आंधी, ओले एवं बारिश से तेंदूपत्ता कम होने से 90 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। वहीं विभाग के अधिकारी ने बताया कि मौसम में बदलाव की वजह से तेंदूपत्ता की गुणवत्ता में कमी देखी गई है। गर्मी के सीजन में वनांचल के लोगों का तेंदूपत्ता भी एक आय का जरिया होता है, इस साल भी बेमौसम बारिश से तेंदूपत्ता संग्राहकों को काफी नुकसान हुआ है। बता दे कि बस्तर संभाग के हजारों परिवार की जीविका और आर्थिक स्रोत का एक प्रमुख साधन हरे सोना यानी कि तेंदूपत्ता संग्रहण होता है। लेकिन मौसम का मिजाज बदलने से और तेज हवाएं चलने के साथ बारिश और ओले गिरने के कारण कोमल तेंदूपत्ता को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।