Bhopal Street Dogs : सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले दिल्ली और एनसीआर की सड़कों से आवारा स्ट्रीट डॉग को हटाकर एनिमल शेल्टर्स में रखने का फैसला दिया। इस फैसले को भोपाल में भी लागू करने की मांग सोशल मीडिया पर की जा रही है। वहीं पशु प्रेमी और पशुओं के लिए काम करने वाले संगठन पीएफए के मेंबरों का दावा है कि इस फैसले का स्टे लेने का प्रयास किया जा रहा है।
रोज पहुंची हैं इतनी शिकायते
राजधानी के अलग-अलग इलाकों से स्ट्रीट डॉग को लेकर करीब 15 से 20 शिकायतें नगर निगम के पास पहुंचती हैं, लेकिन शिकायतों की तुलना में कार्रवाई का प्रतिशत 30 प्रतिशत ही रहता है। इसकी सबसे वजह निगम और शहर के पेट लवर्स के बीच का विवाद है। निगम का डॉग स्क्वॉड जब शिकायत पर इलाके में स्ट्रीट डॉग को पकड़ने जाता है, तो उसे पेट लवर्स के विरोध का सामना करना पड़ता है।
हो रही नसबंदी
अयोध्या नगर थाने में इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज हुईं। जबकि दूसरे थानों में दोनों पक्ष की ओर से आवेदन दिए गए। नगर निगम में वेटनरी विभाग के डॉ. बीपी सिंह का कहना है कि तीनों सेंटरों पर महीनेभर में 600 से 700 प्रति सेंटर पर नसबंदी हो रही है। बीते साल की तुलना में डॉग बाइट की घटनाओं में कमी आई है। हम सेंटरों के विस्तार का भी प्लान बना रहे हैं।
कुत्तों की भी बढ़ रही आबादी
नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि भोपाल में स्ट्रीट डॉग की आबादी में इजाफा हुआ है। हर साल 20 से 22 हजार स्ट्रीट डॉग की नसबंदी की जा रही है। इस हिसाब से बीते पांच सालों में निगम के एबीसी सेंटरों में लगभग एक लाख स्ट्रीट डॉग की नसबंदी हो चुकी है। वर्तमान में कोलार कजलीखेड़ा, अरवलिया और आदमपुर में निगम के एबीसी सेंटर संचालित हो रहे हैं।
हमारे साथ मिलकर अभियान चलाए पीएफए
पीपुल फॉर एनिमल (पीएफए) की मेंबर स्वाति गौरव का कहना है कि वर्तमान में निगम नसबंदी के नाम पर सही नहीं कर रहा है। अगर नसबंदी को सफल बनाना है, तो पायलट प्रोजेक्ट के तहत किन्हीं 5 वार्डों को सिलेक्ट करें और हमारे साथ अभियान चलाएं।