कफ सिरप कांड : मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि कोल्ड्रिफ सिरप से कई बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार मामले को गंभीरता से लेने के बजाय लीपापोती में जुटी है। उन्होंने कहा कि बच्चों की हालत 2 सितंबर से लगातार बिगड़ती जा रही थी, लेकिन सरकार ने पूरे एक महीने तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब 2 अक्टूबर को स्वास्थ्य मंत्री ने इस दवा को क्लीन चिट दे दी, तब तक कई निर्दोष बच्चों की जान जा चुकी थी। क्या ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा नहीं होना चाहिए?
उठाए गंभीर सवाल
दिग्विजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री और जिला प्रशासन की भी भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने पूछा, क्या प्रभारी मंत्री या कलेक्टर ने इस घटना के बाद एक भी समीक्षा बैठक की? आखिर सरकार को समझने में एक महीना क्यों लग गया कि मौतें दवा से हो रही हैं? दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, सिर्फ 9% फार्मा कंपनियों का निरीक्षण क्यों हुआ? 100% जांच क्यों नहीं की गई? जब 36% सैंपल फेल हुए तो इन दवाओं की बिक्री बंद क्यों नहीं की गई?
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2023 में मोदी सरकार ने फार्मा कंपनियों की सज़ा कम करके जुर्माने का प्रावधान कर दिया, और इसके बाद उन्हीं कंपनियों ने 945 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में भाजपा को दान दिए। बीजेपी का मॉडल है, नकली दवा बनाओ, लोगों को मारो, और पार्टी को चंदा दो। दिग्विजय सिंह ने कहा कि जिन संस्थाओं को दवा गुणवत्ता की जांच के लिए बनाया गया है, वे बीजेपी के चंदे के दबाव में काम नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में एक भी दवा टेस्टिंग लैब क्यों नहीं है?
की SIT की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में SIT से कराई जानी चाहिए। यह सिर्फ छिंदवाड़ा नहीं, देश के बच्चों की सुरक्षा का सवाल है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को मामले पर पत्र भी लिखा है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। अगर किसी और सरकार में ऐसा हादसा होता, तो अब तक मंत्री इस्तीफा दे चुके होते। लेकिन इस सरकार में संवेदनशीलता नाम की कोई चीज़ नहीं बची है।
इस्तीफे की मांग
दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह घटना सरकार की विफलता को दर्शाती है। उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दोनों को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि बच्चों की ज़िंदगियों से जुड़ी त्रासदी है।