Chhattisgarh के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी नेता अरविंद नेताम के पार्टी छोड़ने को लेकर तंज दिया. उन्होंने नेताम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए उन्हें बीजेपी की टीम के समान बताया. इसके बाद अरविंद नेताम ने उत्तर देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बघेल ने उन्हें बस्तर के सार्वजनिक मुद्दों पर बातचीत करने के लिए 8 महीनों तक अपॉइंटमेंट नहीं दी. यद्यपि वह उनसे मिलने की कोशिश करते रहे, लेकिन उन्हें मिलने का समय ही नहीं मिला. इसलिए उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी.
अरविंद नेताम ने बताया कि उन्होंने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के शासनकाल के बाद भी कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के साथ भेदभाव किया है। उनके अनुसार, आदिवासियों के हक और अधिकारों को छीना जा रहा है. इसलिए, बस्तर के साथ-साथ पूरे प्रदेश के आदिवासी समाज को जागरूक होना होगा। उन्हें आदिवासी समाज ने चुनाव लड़ने के लिए एकजुट हो रहा है.
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बीजेपी की बी टीम के बारे में बताया हैं:
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी नेता अरविंद नेताम को बीजेपी की बी टीम बताया है. अरविंद नेताम ने कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और उनके बयानों के कारण सीएम बघेल ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों को शिकायत की थी. इसके बाद अरविंद नेताम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. बस्तर दौरे पर सीएम बघेल से पूछा गया कि आदिवासी समाज ने चुनाव लड़ने का एलान किया है, जिसपर उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और उन्होंने आदिवासी नेताओं और अरविंद नेताम को बीजेपी की बी टीम बताया.
अरविंद नेताम ने सीएम भूपेश बघेल पर पलटवार करते यह कहा:
अरविंद नेताम ने सीएम भूपेश बघेल पर पलटवार करते हुए यह कहा कि बगेल मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पार्टी के पुराने नेताओं को भूल गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने बस्तर के सार्वजनिक मुद्दों और बोधघाट परियोजना के संबंध में सीएम से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें 8 महीनों तक मिलने का अपॉइंटमेंट नहीं दिया गया। अरविंद नेताम ने बीजेपी के पूर्व शासनकाल और वर्तमान कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है, उनके जल, जंगल और जमीन को छीना जा रहा है। उन्होंने आदिवासी समाज को जागरूक करने के लिए चुनाव को एकमात्र विकल्प बताया है और उन्हें बस्तर संभाग के साथ-साथ प्रदेश के अन्य विधानसभाओं में भी आदिवासी समाज चुनाव लड़ने के लिए रणनीति तैयार करनी चाहिए.
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